पृथ्‍वी के घूमने की रफ्तार हुई तेज, 24 घंटे से कम वक्‍त में पूरा किया एक चक्‍कर, जानें इसके मायने

वैज्ञानिकों ने कहा है कि पृथ्‍वी ने हाल के वर्षों में अपनी गति बढ़ा दी है। मतलब कि यह एक चक्‍कर कम वक्‍त में पूरा कर ले रही है।

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गैजेट्स 360 स्टाफ, अपडेटेड: 1 अगस्त 2022 13:47 IST
ख़ास बातें
  • 1960 के बाद साल 2020 में पृथ्वी ने अपना सबसे छोटा महीना देखा था
  • उस साल 19 जुलाई को अब तक का सबसे छोटा दिन दर्ज किया गया था
  • 2021 में भी पृथ्‍वी बढ़ी हुई रफ्तार से चक्‍कर लगाती रही थी

अगर पृथ्वी बढ़ती हई रफ्तार से रोटेट करती रही तो निगेटिव लीप सेकंड का इस्तेमाल अहम हो जाएगा।

हम हमेशा से यही पढ़ते आए हैं कि पृथ्‍वी को एक घूर्णन (Rotation) पूरा करने में करीब 24 घंटे लगते हैं, जिसकी वजह से दिन और रात होते हैं। अब जो वैज्ञानिकों ने बताया है वह हैरान करने वाला है। पृथ्‍वी इस रिकॉर्ड को तोड़ रही है। 29 जुलाई को पृथ्वी ने 24 घंटे से कम वक्‍त में अपना चक्‍कर पूरा कर लिया। जानकारी के अनुसार, पृथ्‍वी ने 24 घंटे के रोटेशन से 1.59 मिलीसेकंड कम समय में यह चक्‍कर पूरा किया। वैज्ञानिकों ने कहा है कि पृथ्‍वी ने हाल के वर्षों में अपनी गति बढ़ा दी है। मतलब कि यह एक चक्‍कर कम वक्‍त में पूरा कर ले रही है।  

इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के अनुसार, 1960 के बाद साल 2020 में पृथ्वी ने अपना सबसे छोटा महीना देखा था। उस साल 19 जुलाई को अब तक का सबसे छोटा दिन दर्ज किया गया था। तब पृथ्‍वी ने एक चक्‍कर 24-घंटे से 1.47 मिलीसेकंड कम समय में पूरा कर लिया था।

अगले साल यानी 2021 में भी पृथ्‍वी बढ़ी हुई रफ्तार से चक्‍कर लगाती रही, लेकिन इसने कोई रिकॉर्ड नहीं तोड़ा। हालांकि इंटरेस्टिंग इंजीनियरिंग (IE) के अनुसार यह 50 साल के छोटे दिनों के फेज की शुरुआत हो सकती है। पृथ्वी के घूमने की गति में बदलावों की वजह का अभी पता नहीं चल पाया है, लेकिन वैज्ञानिकों का अनुमान है कि ऐसा पृथ्वी के कोर की अंदरुनी या बाहरी प्रक्रियाओं, महासागरों, ज्वार और जलवायु में परिवर्तन आदि की वजह से हो सकता है।

अपनी रिपोर्ट में इंडिपेंडेंट ने बताया है कि अगर पृथ्वी बढ़ती हई रफ्तार से चक्‍कर लगाती रही तो निगेटिव लीप सेकंड का इस्तेमाल अहम हो जाएगा। एक तरह से यह कुछ सेकंड हटाने जैसा या एटॉमिक क्लॉक का वक्‍त बदलने की तरह है, ताकि पृथ्‍वी जिस रफ्तार से रोटेट कर रही है, उसे समय के हिसाब से सटीक बनाया जा सके। 

हालांकि इसके नुकसान भी होंगे। इससे स्मार्टफोन, कंप्यूटर और कम्‍युनिकेशंस सिस्‍टम पर असर पड़ेगा। गौरतलब है कि तमाम डिवाइसेज और सिस्‍टम, सोलर टाइम के हिसाब से सेट किए जाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि इससे फायदे की बजाए नुकसान ज्‍यादा होगा। ऐसे में किसी और विचार के बारे में सोचे जाने की जरूरत है।  
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ऐसा इसलिए क्‍योंकि हमारी घड़ी चाहे वो जिस भी रूप में हो 00:00:00 पर रीसेट होने से पहले 23:59:59 से 23:59:60 तक आगे बढ़ती है। ऐसे में अगर निगेटिव लीप सेकंड का इस्तेमाल किया जाता है यानी टाइम को जंप किया जाता है, तो यह आपकी डिवाइस के पूरे प्रोग्राम को क्रैश कर सकता है और जरूरी डेटा को भी बर्बाद कर सकता है। 

ध्‍यान देने वाली बात यह भी है कि समय मापने के प्राइमरी स्‍टैंडर्ड यानी ‘कोऑर्डिनेटेड यूनिवर्सल टाइम' (UTC) को पहले भी अपडेट किया जा चुका है।  
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