• होम
  • विज्ञान
  • ख़बरें
  • अंतरिक्ष में कबाड़ की फोटो पहली बार आई सामने, जापानी सैटेलाइट ने देखा 3 टन का टूटा रॉकेट!

अंतरिक्ष में कबाड़ की फोटो पहली बार आई सामने, जापानी सैटेलाइट ने देखा 3 टन का टूटा रॉकेट!

Space Debris : सैटेलाइट ने रॉकेट मलबे तक पहुंचने के लिए सैटेलाइट में लगे कैमरों और सटीक कैलकुलेश का इस्‍तेमाल किया।

अंतरिक्ष में कबाड़ की फोटो पहली बार आई सामने, जापानी सैटेलाइट ने देखा 3 टन का टूटा रॉकेट!

Photo Credit: astroscale

एस्ट्रोस्केल जापान का मकसद भविष्‍य में अंतरिक्ष मलबे को सुरक्षित रूप से हटाना है।

ख़ास बातें
  • अंतरिक्ष मलबे की पहली फोटो आई सामने
  • जापनी सैटेलाइट ने एक टूटे रॉकेट को किया कैप्‍चर
  • 15 साल पुराना है रॉकेट का टुकड़ा
विज्ञापन
सैटेलाइट्स को स्‍पेस में भेजने के लिए दुनियाभर की अंतरिक्ष एजेंसियां रॉकेट का इस्‍तेमाल करती हैं। उनमें से सिर्फ  एलन मस्‍क की स्‍पेस कंपनी स्‍पेसएक्‍स (SpaceX) का रॉकेट रीयूजेबल है। ज्‍यादातर स्‍पेस एजेंसियों के रॉकेट अंतरिक्ष में अपना काम पूरा करके मलबे (rocket debris) में बदल जाते हैं और धरती पर गिर जाते हैं। ज्‍यादातर बार इनके गिरने की जगह का पता नहीं चलता। पहली बार एक जापानी सैटेलाइट ने 3 टन के भारी भरकम रॉकेट मलबे को कैप्‍चर किया है।  

रिपोर्ट्स के अनुसार, एस्ट्रोस्केल जापान (Astroscale Japan) के एक सैटेलाइट ने 15 साल पुराने रॉकेट के टुकड़े का पता लगाया और उसकी तस्‍वीर क्लिक की। दिलचस्‍प है कि एस्ट्रोस्केल को इसी साल फरवरी में लॉन्‍च किया गया था। उसने रॉकेट मलबे तक पहुंचने के लिए सैटेलाइट में लगे कैमरों और सटीक कैलकुलेश का इस्‍तेमाल किया। 

सैटेलाइट का शुरुआती मकसद अंतरिक्ष मलबे की तस्‍वीर लेना, उसकी कंडीशन को डॉक्‍युमेंट करना साथ ही यह साबित करना था कि सैटेलाइट किसी अंतरिक्ष मलबे तक पहुंच सकता है या नहीं। 

एस्ट्रोस्केल जापान का मकसद भविष्‍य में अंतरिक्ष मलबे को सुरक्षित रूप से हटाना है। वह रोबोट‍िक हथियारों से लैस एक और सैटेलाइट लॉन्‍च करना चाहती है। जिस रॉकेट मलबे का पता लगाया गया, वह भी जापान का ही है। रॉकेट की मदद से साल 2009 में एक एनवायरनमेंटल सेंसिंग सैटेलाइट लॉन्‍च किया गया था। 

गौरतलब है कि स्‍पेस मलबे ने दुनियाभर के देशों की चिंता बढ़ाई है। रूस, अमेरिका और चीन की स्‍पेस एजेंसियां आए दिन अपने मिशन लॉन्‍च करती हैं और अंतरिक्ष मलबे को बढ़ा रही है। अमेरिका तो चीन पर आरोप लगा चुका है कि चीनी स्‍पेस एजेंसी अपने अंतरिक्ष मलबे का सही से निपटारा नहीं करती। हालांकि पृथ्‍वी के वायुमंडल में प्रवेश करन के दौरान आमतौर पर यह ‘कचरा' जलकर खत्‍म हो जाता है। या प्रशांत महासागर में गिर जाता है। कुछेक मामलों में ही अंतरिक्ष मलबे के टुकड़े आबादी वाले इलाकों में गिरे हैं।  
 

9000 मीट्रिक टन मलबा है स्‍पेस में  

रिपोर्टों के अनुसार, साल 2022 तक 9 हजार मीट्रिक टन से ज्‍यादा स्‍पेस मलबा हमारे ग्रह की परिक्रमा कर रहा है। इसकी वजह से मौजूदा सैटेलाइट्स प्रभावित हो सकते हैं। यह पृथ्‍वी पर कम्‍युनिकेशन बाधित कर सकता है और अंतरिक्ष यात्रियों का जोखिम बढ़ा सकता है। 

 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

प्रेम त्रिपाठी

प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ सब एडिटर हैं। 10 साल प्रिंट मीडिया ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Samsung Galaxy F16 5G की सेल शुरू, 50MP कैमरा, 5000mAh बैटरी के साथ यहां से Rs 1 हजार सस्ते में खरीदें!
  2. 'बॉस' बनकर WhatsApp पर मांगे Rs 1.95 करोड़, पता चला ठग थे!
  3. गर्मियां शुरू होने से पहले 1.5 Ton Window AC को सस्ते में खरीदने का मौका, फ्लिपकार्ट पर तगड़ी डील
  4. BSNL ने बढ़ाई 4G नेटवर्क की रफ्तार, 83,000 से ज्यादा साइट्स हुई इंस्टॉल
  5. भारत में जल्द एंट्री कर सकती है टेस्ला, शुरू किया इलेक्ट्रिक कारों का सर्टिफिकेशन प्रोसेस
  6. वैज्ञानिकों ने तैयार किया स्किन जैसी हीलिंग पावर वाला हाइड्रोजेल, 4 घंटे में ठीक करेगा 90% चोट!
  7. Xiaomi Water Ion Hair Dryer: 1 मिनट में बाल सुखा सकता है नया शाओमी ड्रायर, जानें कीमत
  8. Nothing Phone (3a) vs Phone (2a): ज्यादा कीमत में कितना बेहतर हुआ Nothing Phone 3a? जानें यहां
  9. Google Pixel 9a के लॉन्च से पहले वीडियो हुआ लीक, फ्लैट डिजाइन के साथ ऐसा दिख रहा फोन!
  10. iPhone 16e vs iPhone 14: कौन सा फोन है बेस्ट वैल्यू फॉर मनी?
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »