भविष्य में सुपरसोनिक फ्लाइट्स लोगों के उपर से गुजर सकें, इसे हकीकत बनाने के लिए नासा (NASA) ने अपने ‘शांत' सुपरसोनिक जेट के स्केल-डाउन मॉडल को विंड टनल में टेस्ट किया है। मौजूदा वक्त में कम्युनिटीज के उपर से सुपरसोनिक उड़ानों पर बैन है। इसकी वजह है इन विमानों से निकलने वाली बहुत तेज आवाज। सोनिक बूम लगभग 110 डेसिबल के आसपास साउंड एनर्जी पैदा करते हैं। सुपरसोनिक उड़ानों को कम शोर करने वाला बनाने के लिए नासा बूम-रिड्यूसिंग तकनीक पर काम कर रही है। इसके सफल होने पर भविष्य में उड़ानें तेज होंगी और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह तक विमान यात्रा में कम समय लगेगा। यह टेस्ट 8x6 फीट की ‘सुपरसोनिक विंड टनल' के अंदर किया गया। इस साल के आखिर तक कई और टेस्ट किए जाएंगे।
इंस्टाग्राम अपडेट में नासा ने स्केल-डाउन X-59 क्वाइड सुपरसोनिक टेक्नॉलजी (QueSST) नाम के एक्सपेरिमेंटल एयरक्राफ्ट की दो इमेजेस शेयर की हैं।
नासा ने कहा, ‘शांत सुपरसोनिक उड़ान? हम इस पर काम कर रहे हैं।' इस फुल-स्केल एयरक्राफ्ट का निर्माण नासा और लॉकहीड मार्टिन द्वारा किया जा रहा है। नासा की तैयारी इस साल फुल-स्केल X-59 की टेस्ट की भी है।
शेयर की गईं तस्वीरों के बारे में नासा ने बताया है कि पहली इमेज विंड टनल के अंदर सोनिक बूम टेस्ट के दौरान विमान के मॉडल को दिखाती है। इसकी लंबाई लगभग डेढ़ फुट है। इसे ‘स्लिरेन' नाम की फोटोग्राफिक प्रक्रिया से कैमरे में कैद किया गया। यह टेस्ट अमेरिका के ओहियो में ग्लेन रिसर्च सेंटर में हुआ।
X-59 सोनिक बूम विंड टनल टेस्ट के प्रमुख रिसर्चर जॉन वोल्टर ने
कहा, टेस्ट से पता चलता है कि हमारे पास एयरक्राफ्ट के शांत डिजाइन हैं साथ भविष्य के इन विमानों में शोर का अंदाजा लगाने के लिए सही तकनीकें भी हैं। मार्च में यह एयरक्राफ्ट जापान की यात्रा करेगा। वहां जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी और बोइंग इसमें आगे के टेस्ट करेंगी।
नासा कई प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इनमें उसका मून मिशन आर्टेमिस 1 (Artemis 1) भी शामिल है। हाल में इसके लॉन्च को एक महीने आगे बढ़ाया गया है। आर्टेमिस प्रोग्राम का मकसद इस दशक के अंत तक अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा की सतह पर वापस उतारना है।