पृथ्वी की सतह से जैसे जैसे ऊंचाई की ओर जाते हैं, इसके वायुमंडल की कई परतें सामने आती हैं। इनमें से एक परत समतापमंडल है जिसे अंग्रेजी में स्ट्रैटोस्फियर (stratosphere) कहा जाता है। अब तक माना जाता रहा था कि वायुमंडल की यह परत बेहद शांत है और यहां किसी प्रकार की कोई आवाज नहीं सुनाई देती है। लेकिन नई खोज बहुत हैरान करने वाले नतीजे लेकर आई है। वैज्ञानिकों ने इस परत में सोलर पावर से चलने वाला एक गुब्बारा भेजा और यहां की गतिविधियों को रिकॉर्ड किया। यहां जो नतीजे मिले हैं, वे चौंकाने वाले हैं।
समतापमंडल धरती की सतह से 10 से 50 किलोमीटर की रेंज में फैला है। वैज्ञानिकों ने यहां एक
सोलर पावर वाला गुब्बारा भेजा जिसमें पता चला कि यहां कुछ रहस्यमयी आवाजें हो रही हैं। हैरानी की बात ये कही गई है कि इन आवाजों का कुछ पता नहीं कि ये कहां से आ रही हैं। वाशिंगटन पोस्ट की
रिपोर्ट के अनुसार, ये आवाजें इंफ्रा साउंड हैं। यानि कि ऐसी आवाजें जो मनुष्य की सुनने की शक्ति से परे हैं। जिस तरह से इंफ्रारेड लाइट को हम नहीं देख पाते हैं, उसी तरह इन ध्वनियों को भी नहीं सुना जा सकता है। ये कुछ ऐसी आवाजें हैं जैसे कोई दबी हुई फुसफसाहट कर रहा हो। ये काफी रहस्यमयी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, कैलिफोर्निया के पासाडेना में
NASA की जेट प्रॉपल्शन लेबोरेटरी में रिसर्च टेक्नोलॉजिस्ट सिद्धार्थ कृष्णामुर्ति ने बताया कि उन लोगों ने इन रहस्य भरी आवाजों के बारे में वाद विवाद करने में बहुत समय लगाया है। एक अन्य शोधकर्ता मिस्टर बॉमेन ने बताया कि वह ये काम पिछले 10 सालों से कर रहे हैं लेकिन उनको इन आवाजों के बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा है। उन्होंने और उनके दोस्तों इससे पहले भी धरती के ऊपर मौजूद काले आसमान की फोटो लेने के लिए इस तरह के बलून भेजे थे।
लेकिन अभी तक किसी ने भी यहां की आवाजों को जानने की कोशिश नहीं की थी। इसी दौरान उनको यह ख्याल आया कि स्ट्रैटोस्फेरिक गुब्बारों में माइक्रोफोन लगाकर आधी सदी से भी ज्यादा समय में किसी ने यहां की ध्वनियों को सुनने की कोशिश नहीं की है। इन गुब्बारों के बारे में कहा गया है कि ये सेंसरों को किसी
जेट प्लेन की अधिकतम ऊंचाई के दोगुने तक लेकर जा सकते हैं। बहरहाल, वैज्ञानिक इन आवाजों के बारे में पता लगाने में जुटे हैं कि आखिर ये आवाजें कहां से पैदा हो रही हैं।