New Solar System : हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की-वे में ऐसा बहुत कुछ है, जिसे वैज्ञानिक अभी नहीं तलाश पाए हैं। खगोलविदों ने एक नजदीकी तारामंडल में अनोखी घटना का पता लगाया है। उन्होंने ऐसे 6 ग्रहों के बारे में जाना है, जो एक लय में अपने तारे का चक्कर लगाते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, सभी ग्रह इतने सटीक पैटर्न में घूमते हैं कि उन्हें म्यूजिक में बांधा जा सकता है। तारे का नाम है- HD110067, जोकि पृथ्वी से 100 प्रकाश वर्ष दूर कोमा बेरेनिसेस (Coma Berenices) तारामंडल में है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के ट्रांजिटिंग एक्सोप्लैनेट सर्वे सैटेलाइट (TESS) को साल 2020 में पता चला था कि इस तारे की चमक कम होती रहती है। इससे संकेत मिलता है कि सभी ग्रह अपने तारे के सामने से गुजरते हैं।
खोज करने वाली रिसर्चर्स की टीम ने TESS के अलावा यूरोपीय स्पेस एजेंसी के चेओप्स (कैरेक्टराइजिंग एक्सोप्लैनेट सैटेलाइट) के डेटा को स्टडी किया। इसके बाद उन्हें 6 ग्रहों की इस खूबी का पता चला। रिपोर्ट के अनुसार, हमारी आकाशगंगा में मल्टीप्लैनेट सिस्टम आम हो सकते हैं, लेकिन इस तरह के सिस्टम शायद ही देखे जाते हैं, जिनमें सभी ग्रह एक सटीक पैटर्न में घूमते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, जो 6 ग्रह मिले हैं, उनमें तारे का सबसे नजदीकी ग्रह बाकी ग्रहों के मुकाबले उसके ज्यादा चक्कर लगाता है। बाकी ग्रह भी इस तरह से तारे की परिक्रमा करते हैं कि उनमें वह पैटर्न बरकरार रहे। तारे के दो सबसे बाहरी ग्रह जितने वक्त में अपनी परिक्रमा पूरी करते हैं, उतने में तारे का सबसे नजदीकी ग्रह उसकी 6 परिक्रमाएं पूरी कर लेता है।
मिल्की-वे से जुड़ी अन्य
खबरों की बात करें तो इस साल एक स्टडी में पता चला था कि मिल्की-वे में तारों के निर्माण की दर पहले जताए गए अनुमानों से ज्यादा है। यानी वैज्ञानिक जितना सोचते आए हैं, हर साल उससे ज्यादा तारे जन्म ले रहे हैं।
कैसे होता है एक तारे का जन्म
तारों का जन्म धूल के बादलों के भीतर मौजूद गैसों के मिलने से होता है। ये बादल ज्यादातर आकाशगंगाओं में बिखरे हुए हैं। इनका सबसे जाना-पहचाना उदाहरण है ओरियन नेबुला (Orion Nebula)। नासा के मुताबिक बादलों के अंदर टर्बुलेंस होने गांठें बनती हैं और गैस व धूल मिलकर तारों का निर्माण शुरू कर देती है। इसकी शुरुआत एक प्रोटोस्टार (protostar) से होती है। यह ढहने वाले बादल का गर्म कोर है, जो एक दिन तारा बन जाता है।