Oxygen on Mars : नासा ने मंगल ग्रह पर पैदा की 122gm ऑक्‍सीजन, एक छोटा डॉगी 10 घंटे ले सकेगा सांस

Oxygen on Mars : यह कामयाबी भविष्‍य में मंगल ग्रह पर उपनिवेश (colony) बनाने की दिशा में कारगर हो सकती है।

विज्ञापन
Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 11 सितंबर 2023 14:43 IST
ख़ास बातें
  • मंगल ग्रह पर प्रयोग हुआ सफल
  • पर्सवेरेंस रोवर के इंस्‍ट्रूमेंट ने पैदा की ऑक्‍सीजन
  • भविष्‍य के मिशनों को मिलेगी मदद

यह सिर्फ एक प्रयोग था। MOXIE ने मंगल ग्रह पर सिर्फ 122 ग्राम ऑक्‍सीजन पैदा की।

Photo Credit: Nasa

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के पर्सवेरेंस रोवर (Perseverance Rover) ने साल 2021 में मंगल ग्रह की सतह पर लैंड किया था। तब से यह रोवर वहां चहलकदमी करते हुए सैंपल इकट्ठा कर रहा है। पर्सवेरेंस का मकसद मंगल ग्रह से चट्टानों के सैंपल इकट्ठा करके उन्‍हें सुरक्षित रखना है। उन सैंपलों को पृथ्‍वी पर वापस लाने के लिए अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) साल 2030 तक मिशन लॉन्‍च कर सकती है। यह रोवर अपने साथ कई इंस्‍ट्रूमेंट्स भी लेकर गया है, जिनमें से एक है- MOXIE (मार्स ऑक्सीजन इन-सीटू रिसोर्स यूटिलाइजेशन एक्सपेरिमेंट)। इसने मंगल ग्रह के वातावरण में ऑक्‍सीजन पैदा करके इतिहास रच दिया है। 

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के अनुसार, यह कामयाबी भविष्‍य में मंगल ग्रह पर उपनिवेश (colony) बनाने की दिशा में कारगर हो सकती है। हालांकि यह सिर्फ एक प्रयोग था। MOXIE ने मंगल ग्रह पर सिर्फ 122 ग्राम ऑक्‍सीजन पैदा की। नासा ने बताया है कि इतनी ऑक्‍सीजन एक छोटे डॉगी को 10 घंटों तक सांस देने के लिए काफी है।  

यह उपलब्धि इसलिए अहम है, क्‍योंकि धरती से करीब 40 करोड़ किलोमीटर दूर ऑक्‍सीजन पैदा की गई है। नासा के डेप्‍युटी एडमिनिस्‍ट्रेटर पाम मेलरॉय ने कहा कि इस तरह की टेक्‍नॉलजीज का विकास हमें चंद्रमा और मंगल जैसी जगहों पर लंबे वक्‍त तक रहने के लिए और मानव मिशनों को आगे बढ़ाने के लिए मजबूती देता है।  

नासा ने बताया है कि MOXIE ने बेहतर तरीके से ऑक्‍सीजन का उत्‍पादन किया। मंगल ग्रह की एक्‍ट्रीम कंडीशंस के बावजूद यह पूरे साल वहां ऑक्‍सीजन पैदा कर सकता है। यह इंस्‍ट्रूमेंट मंगल ग्रह के वायुमंडल में मौजूद हरेक कार्बन डाइ ऑक्‍साइड के परमाणु (atom) से ऑक्‍सीजन परमाणु को अलग करके ऑक्‍सीजन पैदा करता है। 

नासा का कहना है कि इस तरह इकट्ठा की गई ऑक्‍सीजन फ्यूचर में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सांस लेने वाली हवा के रूप में काम कर सकती है। इसका इस्‍तेमाल रॉकेट प्रपेलंट पैदा करने के लिए भी हो सकता है। ऐसा हुआ तो मंगल ग्रह पर फ्यूचर मिशन और ज्‍यादा व्‍यवहारिक हो सकते हैं। पृथ्‍वी से कम फ्यूल ले जाने की जरूरत होगी, ज्‍यादातर फ्यूल मंगल ग्रह पर ही मिल जाएगा।  
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. ऑनलाइन गेमिंग ने कई लोगों को बर्बाद कियाः प्रधानमंत्री मोदी  
  2. Jio के 9 साल पूरे: 50 करोड़ से ज्यादा यूजर्स के लिए इंटरनेट फ्री, 1 महीने का रिचार्ज फ्री और गजब के फायदे
#ताज़ा ख़बरें
  1. ऑनलाइन गेमिंग ने कई लोगों को बर्बाद कियाः प्रधानमंत्री मोदी  
  2. Oppo F31 सीरीज जल्द होगी भारत में लॉन्च, 7,000mAh हो सकती है बैटरी
  3. Huawei ने लॉन्च किया ट्रिपल-फोल्ड स्मार्टफोन Mate XTs, 5,600mAh की बैटरी, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  4. Ather Rizta इलेक्ट्रिक स्कूटर यूजर्स की बल्ले-बल्ले! सॉफ्टवेयर अपडेट से डिस्प्ले बन जाएगा टचस्क्रीन
  5. Flipkart Big Billion Days Sale 2025: 23 सितंबर से शुरू होगी फेस्टिव सेल, कई डील्स हुईं रिवील!
  6. Vivo X300 Pro में मिल सकता है आगामी Dimensity 9500 चिपसेट, जल्द होगा लॉन्च
  7. OnePlus के ये 2 अपकमिंग स्मार्टफोन अल्ट्रा परफॉर्मेंस देंगे, मिलेगी 7000mAh बैटरी!
  8. Amazon Great Indian Festival Sale 2025 की तारीख आई सामने, स्मार्टफोन्स, लैपटॉप्स पर मिलेगा भारी डिस्काउंट
  9. Tecno POVA Slim 5G: भारत में लॉन्च हुआ दुनिया का सबसे पतला 5G स्मार्टफोन! जानें कीमत
  10. Lava ने भारत में लॉन्च किया Yuva Smart 2, 2,500mAh की बैटरी, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस 
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.