Nasa Jupiter Io Mission : हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति (Jupiter) के कई चंद्रमा हैं। ज्यादातर बात यूरोपा की होती है, लेकिन नासा का नया मिशन बृहस्पति के चंद्रमा ‘आईओ' (Io) को टटोलने वाला है। आईओ एक ऐसा खगोलीय पिंड है, जो ज्वालामुखी का घर है। यहां कई एक्टिव ज्वालामुखी हैं जिनके बारे में स्पेस एजेंसी जानना चाहती है। नासा का जूनो स्पेसक्राफ्ट (Juno spacecraft) आईओ की ज्वालामुखीय गतिविधियों की जांच करेगा। यह काम जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (NasaJPL) की देखरेख में होगा।
सतह पर नहीं उतरेगा स्पेसक्राफ्ट
रिपोर्ट के अनुसार, मिशन के दौरान जूनो स्पेसक्राफ्ट ‘आईओ' की सतह पर लैंड नहीं करेगा। वह आईओ से लगभग 930 मील (1496.69 किलोमीटर) दूर रहेगा और उसका चक्कर लगाएगा। इस दौरान स्पेसक्राफ्ट का काम होगा आईओ पर बहने वाले लावा के टेंपरेचर की जांच करना और यह पता लगाना कि उसमें किस तरह की गतिविधियां हैं।
मिशन के दौरान जूनो स्पेसक्राफ्ट अपने तीन कैमरों को इस्तेमाल करेगा और आईओ की हाई रेजॉलूशन तस्वीर लेगा। बताया जाता है कि अगले साल फरवरी में यानी 2 महीने बाद ही जूनो स्पेसक्राफ्ट आईओ के बहुत नजदीक से उड़ान भरेगा। हालांकि कल भी यह आईओ के करीब जाने वाला है। मिशन को 2025 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है। आईओ के सफर पर रहते हुए जूनो को अपनी कक्षा में 18 बार बदलाव करना होगा।
जूनो स्पेसक्राफ्ट साल 2016 में बृहस्पति ग्रह की कक्षा में पहुंचा था। तब से यह लगातार उसकी निगरानी कर रहा है। इसी साल 8 अप्रैल को जूनो ने बृहस्पति ग्रह का 50वां क्लोज पास पूरा किया था। यानी स्पेसक्राफ्ट ने बृहस्पति के चारों ओर 50 परिक्रमाएं पूरी कर लीं। यह स्पेसक्राफ्ट बृहस्पति ग्रह के अन्य चंद्रमाओं को भी टटाेल रहा है, जिनमें गेनीमेड प्रमुख है।
वैज्ञानिकों के लिए जितना दिलचस्प बृहस्पति ग्रह है, उतने ही अहम हैं उसके चंद्रमा। अब तक मिले सबूत बताते हैं कि बृहस्पति के चंद्रमा गर्म, नमकीन और जीवन को सक्षम बनाने वाले तत्वों से भरपूर हो सकते हैं।