एस्‍टरॉयड्स से अब पृथ्‍वी को कोई खतरा नहीं! Nasa के DART मिशन ने रचा इतिहास, जानें पूरा मामला

DART की टक्‍कर ने डिमोर्फोस की कक्षा को 11 घंटे 55 मिनट से 11 घंटे और 23 मिनट तक छोटा कर दिया।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 12 अक्टूबर 2022 14:06 IST
ख़ास बातें
  • नासा ने कहा, एस्‍टरॉयड की दिशा बदलने में मिली कामयाबी
  • 26 सितंबर को नासा का स्‍पेसक्राफ्ट टकराया था एस्‍टरॉयड से
  • यह टक्‍कर जानबूझकर कराई गई थी

नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा हमने दुनिया को दिखाया है कि नासा पृथ्‍वी के रक्षक के रूप में गंभीर है।

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) का DART मिशन सफल रहा है। पिछले महीने 26 सितंबर को नासा का डबल एस्‍टरॉयड रीडायरेक्‍शन टेस्‍ट (DART) स्‍पेसक्राफ्ट जानबूझकर डिमोर्फोस (Dimorphos) नाम के एक एस्‍टरॉयड से टकराया था। टक्‍कर करके नासा यह जानना चाहती थी कि इससे एस्‍टरॉयड की कक्षा में बदलाव होता है या नहीं। मिशन की सफलता का सीधा मतलब है कि भविष्‍य में भी ऐसा करके एस्‍टरॉयड की दिशा को बदला जा सकेगा और पृथ्‍वी के लिए खतरा बनने वाले  एस्‍टरॉयड्स को ‘रास्‍ते से हटाया' जा सकेगा। 

मंगलवार को नासा ने कहा कि वह एस्‍टरॉयड को विक्षेपित (deflecting) करने में सफल रही है। नासा के प्रमुख बिल नेल्सन ने कहा कि फ्रिज के आकार का DART इम्‍पैक्‍टर जानबूझकर डिमोर्फोस एस्‍टरॉयड में घुस गया था। इस टक्‍कर के असर से वह डिडिमोस (Didymos) के चारों ओर एक छोटी व तेज कक्षा में चला गया। ध्‍यान रहे कि डिमोर्फोस, डिडिमोस की परिक्रमा करता है। 
 

DART की टक्‍कर ने डिमोर्फोस की कक्षा को 11 घंटे 55 मिनट से 11 घंटे और 23 मिनट तक छोटा कर दिया। नासा ने उम्‍मीद लगाई थी कि इस टक्‍कर से डिमोर्फोस की गति में 10 मिनट तक का बदलाव हो सकता है, लेकिन परिणाम उम्‍मीद से बेहतर रहे हैं और डिमोर्फोस की कक्षीय अवधि 32 मिनट तक तेज हुई है। नेल्सन ने कहा कि हमने दुनिया को दिखाया है कि नासा पृथ्‍वी के रक्षक के रूप में गंभीर है।

डिमोर्फोस और डिडिमोस की जोड़ी सूर्य के चारों ओर हर 2.1 साल में एकसाथ घूमती है और अब यह हमारे ग्रह के लिए कोई खतरा नहीं है। गौरतलब है कि इस टक्‍कर के बाद डिमोर्फोस से निकला मलबा अंतरिक्ष में 10 हजार किलोमीटर तक एक पूंछ के रूप में फैल गया था। SOAR टेलिस्‍कोप से ली गई इमेज में यह जानकारी सामने आई थी। 
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डिमोर्फोस एक छोटा एस्‍टरॉयड उपग्रह है जिसे साल 2003 में खोजा गया था। यह एस्‍टरॉयड डिडिमोस का एक चंद्रमा है। इस पर गतिज प्रभाव तकनीक (kinetic impact technique) का परीक्षण दुनिया में पहली बार किया गया। ऐसा करके वैज्ञानिक यह परखना चाहते थे कि भविष्‍य में जब कोई एस्‍टरॉयड पृथ्‍वी की ओर आएगा तो इस तकनीक की मदद से क्‍या उसकी दिशा बदली जा सकेगी। 
 

 

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