सोलर तूफान (Solar Storms) इंसानों को सीधे तौर पर कोई नुकसान नहीं पहुंचाते, लेकिन इंटरनेट और बिजली को घंटों तक ठप कर सकते हैं। हाल के दिनों में हमने देखा है कि सौर तूफानों के कारणों दुनिया के कई इलाकों में अस्थायी रूप से रेडियो ब्लैकआउट हुआ। इससे रेडियो कम्युनिकेशन बाधित हो गया। सौर तूफान का दायरा बड़ा हो तो अंतरिक्ष में मौजूद हमारे सैटेलाइट्स भी तबाह हो सकते हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के मुताबिक, भविष्य में जब इस तरह की घटनाएं पृथ्वी को प्रभावित करने वाली होंगी, तो 30 मिनट पहले अलर्ट जारी किया जा सकेगा।
नासा ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संचालित एक सिस्टम डेवलप किया है। इसके जरिए भविष्यवाणी की जा सकेगी कि ऐसी घटनाएं हमारे ग्रह को कब टार्गेट करेंगी। हालांकि सौर घटनाओं के पृथ्वी को टार्गेट करने से सिर्फ 30 मिनट पहले ही अलर्ट जारी किया जा सकेगा।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने मार्च में DAGGER (डीप लर्निंग जियोमैग्नेटिक पर्टर्बेशन) नाम के कंप्यूटर मॉडल के बारे में बताया था। इससे जुड़ा शोध अब सामने आया है। इंटरनेशनल रिसर्चर्स की एक टीम ने इस शोध को अंजाम दिया है। टीम में नासा, यूएस जियोलॉजिकल सर्वे और यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एनर्जी से विशेषज्ञ शामिल थे। यह टीम सोलर विंड और जियोमैग्नेटिक गड़बड़ी के बीच कनेक्शन का पता लगाने के लिए एआई का इस्तेमाल कर रही है।
रिसर्चर्स ने डीप लर्निंग नाम की एक मेथड इस्तेमाल की। इस मेथड में कंप्यूटर पिछले उदाहरणों के आधार पर सोलर विंड और जियोमैग्नेटिक गड़बड़ी के बीच कनेक्शन के पैटर्न का पता लगाता है। टीम ने अगस्त 2011 और मार्च 2015 के दो भू-चुंबकीय तूफानों पर DAGGER मॉडल को टेस्ट किया। नासा का कहना है कि यह मॉडल दुनियाभर में सौर तूफानों का सटीक पूर्वानुमान लगा सकता है।
सौर तूफान के असर का सबसे ताजा उदाहरण साल 1989 में देखने को मिला था। तब कनाडा के एक शहर में 12 घंटों के लिए बिजली गुल हो गई थी। इस कारण स्कूलों और बिजनेसेज को बंद करना पड़ा था। ऐसी घटनाएं आज के समय में हो, तो लोगों को बड़े स्तर पर प्रभावित कर सकती है।