सूर्य हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा खगोल पिंड है और इसका तारा भी, जिसका प्रभाव सोलर सिस्टम के हरेक प्लेनेट पर पड़ता है। इन दिनों सूर्य की सतह सौर हलचलों से भरी हुई है और इसमें लगातार बड़े विस्फोट हो रहे हैं। इसकी सतह पर होने वाले ये धमाके इतने विशाल होते हैं जिसका असर पृथ्वी तक भी पहुंचता है। हाल ही में सूर्य में हुए एक धमाके से बड़ा सौर तूफान पृथ्वी तक पहुंचा था, जिसने यहां पर कई हिस्सों में रेडियो ब्लैकआउट कर दिया था। अब ऐसे ही एक और सौर तूफान की धरती तक पहुंचने की चेतावनी जारी की गई है।
NASA की
सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी (SDO) ने सूर्य की ओर से एक बड़ा सौर तूफान आज यानि, 28 अप्रैल को धरती से टकराने की चेतावनी जारी की है। यह सौर तूफान अपना अधिकतम असर पृथ्वी के दक्षिणी हिस्से पर डालेगा, ऐसा कहा गया है। हालांकि कैटिगरी के हिसाब से इसे बहुत ज्यादा शक्तिशाली नहीं बताया गया है। पिछले हफ्ते जो सौर तूफान आया था वह G4 कैटिगरी का था जो कि काफी शक्तिशाली था। स्पेस वेदर भौतिकशास्त्री डॉक्टर टेमिथा स्कोव (Dr. Tamitha Skov) ने इसके बारे में जानकारी देते हुए अपने ट्विटर हैंडल पर एक पोस्ट शेयर किया है।
डॉक्टर टेमिथा स्कोव के मुताबिक यह सोलर स्टॉर्म पिछले हफ्ते आए G4 कैटिगरी के सौर तूफान जितना शक्तिशाली नहीं होगा। वहीं, स्पेवेदर की
रिपोर्ट कहती है कि नेशनल ओशनिक एंड एटमॉसफेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने G1 श्रेणी के कम प्रभावशाली सौर तूफान के धरती तक पहुंचने का अलर्ट जारी किया है। यह कोरोनल मास इजेक्शन (CME) के कारण उठा तूफान है जो 24 अप्रैल को हुए धमाके में सूर्य की सतह से फूटा था। इसका असर पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध पर देखने को नहीं मिलेगा। हालांकि हिस्सा बिल्कुल ही अछूता रहे, ऐसा भी पुख्ता रूप से कहना मुश्किल है।
भूचुंबकीय तूफानों या सौर तूफानों को आकार के हिसाब से श्रेणियों में बांटा जाता है। इन्हें G1 से G5 तक वर्गीकृत किया गया है। G5 कैटिगरी का सौर तूफान सबसे शक्तिशाली माना जाता है। इसके टकराने से धरती पर बहुत अधिक नुकसान की संभावना होती है। ये धरती पर कई तरह के उपकरणों को खराब कर सकते हैं, संचार के साधनों में खराबी पैदा कर सकते हैं। बिजली सप्लाई भी इससे प्रभावित हो सकती है। रेडियो, सैटेलाइट और नेविगेशन सिस्टम पर भी यह असर डाल सकता है। बता दें कि अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार इस वक्त सूर्य अपनी 11 साल की सौर साइकिल से गुजर रहा है। हर 11 साल में सूर्य की सतह पर इस तरह की गतिविधियां बहुत तेज हो जाती हैं।
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