जब किसी तारे में विस्फोट होता है, तो वह बहुत ज्यादा चमकदार हो जाता है। इसे सुपरनोवा कहते हैं। खगोलविदों को एक ऐसे तारे के बारे में पता चला है, जो सुपरनोवा विस्फोट के बाद भी बचा रह गया। यही नहीं, विस्फोट ने तारे को और अधिक चमकीला बना दिया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के हबल स्पेस टेलिस्कोप ने इस तारे के बारे में पता लगाया है। यह एक सफेद बौना तारा है। यह सफेद तारा उस तारे का शेष भाग बताया जाता है, जिसने सुपरनोवा विस्फोट में खुद को उड़ा लिया था।
यह सफेद बौना तारा NGC 1309 नाम की एक स्पाइरल गैलेक्सी में रहता है। यह हमारी आकाशगंगा की लगभग तीन चौथाई है। यह तारा पृथ्वी से 108 मिलियन प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। गौरतलब है कि तारे के साइज, संरचना और विस्फोट की ताकत के आधार पर कई प्रकार के सुपरनोवा होते हैं। यह तारा वैज्ञानिकों को 'टाइप lax' सुपरनोवा को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर रहा है। इस तरह के विस्फोट में तारे नष्ट नहीं होते, बल्कि अपने पीछे अवशेष छोड़ जाते हैं।
वैज्ञानिकों ने इन तारों को जॉम्बी स्टार्स कहा है। वो मर तो गए हैं, लेकिन पूरी तरह से नहीं। वैज्ञानिकों ने अब तक इस प्रकार के लगभग 50 सुपरनोवा का पता लगाया है, लेकिन जीवित सफेद बौने 'जॉम्बी स्टार' की पहचान पहली बार की गई है।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह सफेद बौना तारा ऑर्बिट में एक अन्य तारे के साथ लॉक है। इस पेयरिंग को बाइनरी सिस्टम कहते हैं। परेशानी यहीं से शुरू हुई। बाइनरी सिस्टम की वजह से ही इस तारे का द्रव्यमान सूर्य के बराबर पहुंच गया। इस वजह से इसके कोर में थर्मोन्यूक्लियर रिएक्शंस हुए और सुपरनोवा विस्फोट हो गया। इस विस्फोट के बाद तारे को मर जाना चाहिए था। लेकिन वैज्ञानिक हैरान रह गए, क्योंकि ऐसा नहीं हुआ था।
एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में इस महीने पब्लिश हुई रिसर्च के प्रमुख लेखक और कैलिफोर्निया की लास कंब्रेस ऑब्जर्वेटरी के वरिष्ठ खगोल वैज्ञानिक कर्टिस मैककली ने कहा कि हम इस बात से काफी हैरान थे कि तारा नष्ट नहीं हुआ, वह बच गया था और विस्फोट के बाद अब पहले से ज्यादा चमकदार हो गया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, सुपरनोवा विस्फोट के दौरान इस तारे ने रेडियोएक्टिव मटीरियल प्रोड्यूस किए थे। इसी की वजह से सुपरनोवा के दौरान तारे में ज्यादा चमक दिखाई देती है। कहा जा रहा है कि इसी में से कुछ मटीरियल जीवित बचे तारे में रह गया।