तूफान और चक्रवातों के नाम रखने का सिलसिला पुराना है। इनके जरिए आने वाली आपदा की चेतावनी दी जाती है। बीते कुछ वक्त से हीटवेव भी किसी आपदा सरीखी बनी हुई हैं। पूरी दुनिया में इनका प्रकोप अलग-अलग वक्त में देखा जा रहा है। अब वैज्ञानिकों ने हीटवेव का नामकरण भी शुरू कर दिया है। इसकी शुरुआत स्पेन से हुई है। हीटवेव की वजह से वहां तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। हीटवेव को ज़ो (Zoe) नाम दिया गया। हीटवेव का असर 24 जुलाई से 27 जुलाई के बीच दिखाई दिया था। सेविला यूनिवर्सिटी (Sevilla University) में भौतिकी विभाग के एक असिस्टेंट प्रोफेसर, जोस मारिया मार्टिन ओलाला के अनुसार, गर्मी ने स्पेन के सविल शहर को जकड़ लिया था। हीटवेव का नामकरण proMETEO सविल प्रोजेक्ट के तहत किया गया। इसका मकसद हीटवेव की रैंकिंग करना और जागरूकता बढ़ाना है।
स्पेनिश राज्य मौसम विज्ञान एजेंसी (AEMET) के अनुसार, हीटवेव के दौरान कम से कम तीन दिनों तक तापमान को मॉनिटर किया जाता है। बताया गया है कि हीटवेव को बारी-बारी से मेल और फीमेल नाम दिए जाएंगे। मौसम विशेषज्ञ इसके लिए उल्टे वर्णानुक्रम (reverse alphabetical order) में जाएंगे। ज़ो (Zoe) पहला नाम है, जो क्रम में चुना गया है। इसके बाद बाकी हीटवेव का भी नामकरण किया जाएगा। टाइम की एक रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य यागो, जेनिया, वेन्सलाओ और वेगा नाम से हीटवेव आएंगी।
स्पेन में मौसम यूरोप के बाकी इलाकों के मुकाबले आमतौर पर गर्म रहता है, लेकिन अब इसका दायरा और समय बढ़ता जा रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार पिछले कुछ महीनों में स्पेन और यूरोप के अन्य हिस्सों में सूखा पड़ा है। 24 और 25 जुलाई को सेविल में तापमान 112 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच गया था, न्यूनतम तापमान भी 84 डिग्री फारेनहाइट था। हालांकि सेविल में यह हर साल की बात है। इस बार मामला इसलिए अलग है, क्योंकि पहली बार हीटवेव का नामकरण हुआ है।
जहां तक बात सेविल में गर्मी की है, तो इस बार लगभग दो हफ्तों तक तापमान 106 डिग्री फारेनहाइट के पास मंडराता रहा। विशेषज्ञों के अनुसार, शहर में तापमान ज्यादा रहने के दिन अविश्वसनीय रूप से बढ़ गए थे।