हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति (Jupiter) वैज्ञानिकों को हमेशा से चौंकाता और प्रभावित करता आया है। आसमान में होने वाली घटनाओं में दिलचस्पी रखने वाले लोग उस समय हैरान रह गए उन्होंने गैस के इस विशाल ग्रह को चार चंद्रमाओं के बेहद करीब देखा। कई लोगों ने दूरबीन की मदद से भी यह नजारा देखा। ट्विटर पर लोगों ने चार सबसे बड़े चंद्रमाओं आईओ (Io), यूरोपा (Europa), गेनीमेड (Ganymede) और कैलिस्टो (Callisto) के साथ बृहस्पति की तस्वीरें शेयर कीं।
अमेरिका में एरिजोना के रहनेवाले एंड्रयू मैकार्थी ने ट्वीट किया कि तस्वीरों को कैद करने के लिए वह काफी वक्त आसमान में देखते रहे। उन्होंने बताया कि बीते 59 साल में यह ग्रह पृथ्वी के सबसे नजदीक आया है। वहीं, भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में एसोसिएट प्रोफेसर आलोक कुमार ने ट्वीट किया कि बृहस्पति बहुत ब्राइट है। बादलों के बीच भी वह ठीक से दिखाई दे रहा है और उसके 3 चंद्रमा भी नजर आ रहे थे। कुछ लोगों ने हाई-एंड कैमरा स्मार्टफोन्स के साथ बृहस्पति की तस्वीरें लीं, जबकि कुछ लोगों ने बड़ी दूरबीनों की मदद से उसे स्पॉट किया।
दोनों ग्रह एक-दूसरे के सबसे करीब होते हुए भी उनके बीच 365 मिलियन मील की दूरी थी। जब बृहस्पति, पृथ्वी से सबसे दूर होता है, तब दोनों के बीच 600 मिलियन मील की दूरी होती है। बृहस्पति के 53 चंद्रमाओं के नाम हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि कुल 79 चंद्रमाओं का पता अबतक लगाया जा चुका है।
नासा का जूनो अंतरिक्ष यान 6 साल से बृहस्पति की परिक्रमा कर रहा है और इस ग्रह की सतह के बारे में जानने के साथ-साथ उसके चंद्रमाओं की खोज में जुटा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि बृहस्पति का अध्ययन करने से सौर मंडल के निर्माण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां मिल सकती हैं।
कुछ दिन पहले ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) ने
बताया था कि 26 सितंबर को बृहस्पति ग्रह 70 साल बाद पृथ्वी के सबसे नजदीक आने जा रहा है। नासा ने कहा था कि अगर धरती की सतह से देखें तो कोई भी खगोलीय वस्तु या कोई ग्रह उल्टी दिशा में तब आता है जब वह पूर्व में उदय हो। ऐसे में पूर्व में आई कोई खगोलीय वस्तु या ग्रह सूरज के ठीक उल्टी दिशा में दिखाई देते हैं। बृहस्पति हर 13 महीने में सूरज की उल्टी दिशा में आता है। इसके कारण यह और ज्यादा बड़ा व चमकीला दिखता है। लेकिन इस बार हुई घटना अलग थी, क्योंकि बृहस्पति न सिर्फ उल्टी दिशा में था बल्कि यह धरती के सबसे करीब भी था।