PROBA-3 Mission : ISRO कल पहुंचाएगा यूरोप के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में, जानें मिशन की बड़ी बातें

इस काम में PSLV-C59 रॉकेट की मदद ली जाएगी, जोकि करीब 550 किलो के सैटेलाइट्स को लेकर उड़ान भरेगा।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, Edited by अंकित शर्मा, अपडेटेड: 3 दिसंबर 2024 14:21 IST
ख़ास बातें
  • इसरो कल लॉन्‍च करेगा प्रोबा-3 मिशन
  • यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी का सैटेलाइट है प्रोबा-3
  • सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना को करेगा स्‍टडी

PSLV एक लॉन्‍च वीकल है, जिसका काम अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स और अन्‍य पेलोड्स को पहुंचाना है।

Photo Credit: ISRO

भारतीय स्‍पेस एजेंसी इसरो (ISRO) बुधवार को एक बड़े लॉन्‍च के लिए तैयार है। वह यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी (ESA) के प्रोबा-3 (PROBA-3) मिशन को रवाना करेगी। इसरो ने बताया है कि PSLV-C59/PROBA-3 मिशन सैटेलाइट्स को 4 दिसंबर को शाम 4:06 बजे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्‍च किया जाएगा। इस काम में PSLV-C59 वीकल की मदद ली जाएगी, जोकि करीब 550 किलो के सैटेलाइट्स को लेकर उड़ान भरेगा। प्रोबा-3 एक इन-ऑर्बिटल प्रदर्शन मिशन है।  

इस बारे में जानकारी देते हुए इसरो से एक्‍स पर एक पोस्‍ट में कहा कि PSLVC59/PROBA-3 मिशन PSLV की 61वीं फ्लाइट होगी और PSLV-XL कॉन्‍फ‍िगरेशन के साथ 26वीं उड़ान होगी, जिसमें सैटेलाइट्स को ले जाने के लिए एक सेट शामिल होता है। 
 

एकसाथ दो स्‍पेसक्राफ्ट की उड़ान 

रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मिशन में दो अंतरिक्ष यान शामिल हैं। इनके नाम- कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (सीएससी) और ऑकुल्टर स्पेसक्राफ्ट (ओएससी) हैं। इन्‍हें ‘स्टैक्ड कॉन्‍फ‍िगरेशन' (एक के ऊपर एक) में लॉन्च किया जाएगा।
 

PSLV एक लॉन्‍च वीकल है, जिसका काम अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स और अन्‍य पेलोड्स को पहुंचाना है। इसकी सबसे पहली सफल उड़ान साल 1994 में हुई थी। मौजूदा PSLV-C59 कुल 320 टन की कैपिस‍िटी को उठा सकता है। 

PSLV के PSLV-C58 लॉन्‍च वीकल ने आखिरी बार XPOSAT सैटेलाइट को अंतरिक्ष में पहुंचाया था। यह लॉन्‍च इस साल 1 जनवरी को हुआ था। इसरो का यह भी कहना है कि बुधवार को होने वाला लॉन्‍च पीएसएलवी की ‘विश्वसनीय सटीकता' और अन्य एजेंसियों के साथ सहयोग का उदाहरण है।
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प्रोबा-3 (Proba-3) दुनिया का पहला प्रीसिशन उड़ान मिशन है। यह सूर्य के वायुमंडल की सबसे बाहरी और सबसे गर्म परत, कोरोना को स्‍टडी करेगा। ऐसा पहली बार होगा कि सूर्य को इतने नजदीक से देखा जा सकेगा। इस मिशन के माध्यम से सूर्य के बारे में नई खोजें की जा सकेंगी। सूर्य की सतह पर क्या हो रहा है यह बेहद नजदीक से जांचा-परखा जा सकेगा। इसके साथ ही सौर-तूफानों की उत्पत्ति और इनकी मूवमेंट के बारे में भी बेहतर तरीके से जाना जा सकेगा। 

 
 

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