ISRO Aditya L1 Mission : कल सूर्य को ‘नमस्‍कार’ करेगा ISRO का आदित्‍य! 27 घंटे बाकी

ISRO Aditya L1 Mission : ‘आदित्‍य एल-1’ मिशन को पिछले साल 2 सितंबर को लॉन्‍च किया गया था। तब से इसने 37 लाख किलोमीटर का घुमावदार फासला तय किया है।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 5 जनवरी 2024 13:23 IST
ख़ास बातें
  • इसरो का आदित्‍य स्‍पेसक्राफ्ट कल पहुंचेगा मंजिल पर
  • पृथ्‍वी से 15 लाख किलोमीटर दूर एल1 पॉइंट पर करेगा पार्किंग
  • वहां से सूर्य पर रखेगा दिन रात नजर

आदित्‍य स्‍पेसक्राफ्ट की कंडीशन बेहतर है। इसने अपने लक्ष्‍य पर पहुंचने से पहले ही सूर्य की तस्‍वीरें खींचना शुरू कर दिया है।

Photo Credit: ISRO

ISRO Aditya L1 Mission : अंतरिक्ष में ‘भारत का सूर्य नमस्‍कार' पूरा होने वाला है। इंडियन स्‍पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) की पहली स्‍पेस बेस्‍ड सोलर ऑब्‍जर्वेट्री ‘आदित्‍य एल-1' (Aditya-L1) कल अपने लक्ष्‍य पर पहुंच जाएगी। इसरो का यह सैटेलाइट अपने निर्धारित ऑर्बिट में 6 जनवरी की शाम 4 बजे एंट्री करेगा। ‘आदित्‍य एल-1' मिशन को पिछले साल 2 सितंबर को लॉन्‍च किया गया था। तब से इसने 37 लाख किलोमीटर का घुमावदार फासला तय किया है। इसरो का कहना है कि आदित्‍य स्‍पेसक्राफ्ट की कंडीशन बेहतर है। इसने अपने लक्ष्‍य पर पहुंचने से पहले ही सूर्य की तस्‍वीरें खींचना शुरू कर दिया है।   
 

L1 पॉइंट है आदित्‍य का फाइनल डेस्टिनेशन

आदित्य-एल-1 पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी के पहले लैग्रेंजियन पॉइंट (एल1) के चारों ओर सूर्य की स्‍टडी करेगी। आपको यह दूरी बहुत ज्‍यादा लग सकती है, लेकिन यह पृथ्‍वी और सूर्य की कुल दूरी का सिर्फ 1 फीसदी है। L1 पॉइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच एक संतुलित गुरुत्वाकर्षण वाली जगह है, जिसे स्‍पेस एजेंसियां ‘पार्किंग' भी कहती हैं।  
 

L1 पॉइंट को ही क्‍यों चुना ISRO ने 

यह ऐसा पॉइंट है, जहां से सूर्य पर हमेशा नजर रखी जा सकती है। जब मिशन अपना काम शुरू कर देगा तो इसरो को रियलटाइम में सौर गतिविधियों का पता चल पाएगा। आदित्‍य स्‍पेसक्राफ्ट अपने साथ 7 साइंटिफ‍िक इंस्‍ट्रूमेंट्स लेकर गया है। सभी स्‍वेदशी हैं और भारत के विभ‍िन्‍न विभागों द्वारा तैयार किए गए हैं। इंस्‍ट्रूमेंट्स की मदद से सूर्य के अलग-अलग हिस्‍सों को स्‍टडी किया जाएगा। 
 

पिछले महीने ली थी सूर्य की फोटो 

मंजिल पर पहुंचने के दौरान पिछले महीने आदित्‍य स्‍पेसक्राफ्ट ने सूर्य की फुल डिस्‍क इमेज खींची थी। स्पेसक्राफ्ट ने सूर्य को कैमरे में इस तरह से कैद किया, जो अब से पहले नहीं किया गया था। वह फोटो नियर अल्ट्रावायलेट वेवलेंथ में थी। फोटो में सूर्य के फोटोस्फीयर (photosphere) और क्रोमोस्फीयर (chromosphere) को देखा जा सकता था। 
 
 

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