50 करोड़ साल पहले पृथ्वी के चारों तरफ भी थे शनि ग्रह जैसे छल्ले!

लगभग 46.6 करोड़ साल पहले एक बड़ा एस्टरॉयड पृथ्वी के बहुत करीब आया होगा जो इसकी रोश लिमिट (Roche Limit) को भी पार कर गया होगा।

50 करोड़ साल पहले पृथ्वी के चारों तरफ भी थे शनि ग्रह जैसे छल्ले!

Photo Credit: Monash University/Oliver Hull

लगभग 46.6 करोड़ साल पहले ये छल्ले मौजूद रहे होंगे।

ख़ास बातें
  • नया शोध पृथ्वी के चारों तरफ छल्ले यानी रिंग्स होने की कल्पना करता है
  • लगभग 46.6 करोड़ साल पहले एक बड़ा एस्टरॉयड पृथ्वी के बहुत करीब आया
  • एस्टरॉयड बहुत सारे छोटे टुकड़ों में टूटा होगा जो रिंग बनकर फैल गए होंगे
विज्ञापन
कैसा हो अगर हमारी पृथ्वी के चारों तरफ भी खूबसूरत छल्ले तैर रहे हों जैसा कि शनि ग्रह के चारों तरफ दिखाई देते हैं। वैज्ञानिकों की मानें तो ऐसा पहले हो चुका है। एक नई रिसर्च में दावा किया गया है हमारी पृथ्वी के चारों तरफ किसी समय में एक रिंग सिस्टम रहा होगा जैसा कि शनि ग्रह के इर्द-गिर्द दिखाई देता है। यह लगभग 46.6 करोड़ साल पहले की बात रही होगी। तो कैसे दिखते होंगे पृथ्वी के छल्ले? आइए जानते हैं रिपोर्ट इस बारे में क्या बताती है। 

सौरमंडल में शनि ही वर्तमान में एक ऐसा ग्रह है जिसके चारों तरफ खूबसूरत छल्ले पाए जाते हैं। लेकिन अर्थ एंड प्लेनेटरी साइंस लैटर्स (Earth and Planetary Science Letters) में एक नया शोध प्रकाशित किया गया है जो पृथ्वी के चारों तरफ छल्ले यानी रिंग्स होने की कल्पना करता है। लगभग 46.6 करोड़ साल पहले ये छल्ले मौजूद रहे होंगे। कहां से आए होंगे ये छल्ले, और कहां चले गए? 

दरअसल शोध में कहा गया है कि वह समय भारी उल्कापात का रहा होगा। इसे ऑर्डोविशियन प्रभाव (Ordovician impact) कहा गया है। जिसमें भारी संख्या में उल्काएं आसमान से एकसाथ पृथ्वी पर गिरी होंगी। स्टडी के मुख्य लेखक एंडी टॉमकिंस, मोनाश यूनिवर्सिटी, ने 21 एस्टरॉयड इम्पेक्ट क्रेटर्स (एस्टरॉयड के टकराने से बने गड्ढों) की पोजीशन को स्टडी किया है। यह ऑर्डोविशियन काल की बात है। शोधकर्ता ने जो पाया वह हैरान करने वाला था। ये सभी क्रेटर्स इक्वेटर पर 30 डिग्री के भीतर मौजूद थे। जबकि पृथ्वी की सतह का 70 प्रतिशत भूमि वाला भाग इस क्षेत्र से अलग बना रहा। 
Latest and Breaking News on NDTV

शोधकर्ता टीम ने अनुमान लगाया कि एक बड़ा एस्टरॉयड पृथ्वी के बहुत करीब आया होगा जो इसकी रोश लिमिट (Roche Limit) को भी पार कर गया होगा। इसकी वजह से एस्टरॉयड बहुत सारे छोटे टुकड़ों में टूटा होगा। ये छोटे टुकड़े पृथ्वी की कक्षा के चारों ओर फैल गए होंगे। धीरे-धीरे समय के साथ ये टुकड़े फिर सतह पर गिर गए होंगे जिनसे ये क्रेटर्स बने होंगे। 

यह नया शोध भूविज्ञान की सीमाओं को कहीं ज्यादा आगे ले जाने वाला मालूम होता है। शोधकर्ता मान रहे हैं कि इस रिंग सिस्टम ने धरती की जलवायु को भी प्रभावित किया होगा क्योंकि इनके इस तरह इकट्ठा हो जाने से सूर्य का प्रकाश इन्होंने रोक लिया होगा और धरती पर एक क्षेत्र में छाया पसर गई होगी। इसकी वजह यहां पर ठंड का एक दौर चला होगा जिसे हिर्नेशियन आइसहाउस कहा जाता है। यह ऐसा काल था जिसमें धरती पर पिछले 50 करोड़ सालों में सबसे ज्यादा ठंड रही होगी। 
 
Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

हेमन्त कुमार

हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर सब-एडिटर हैं और विभिन्न प्रकार के ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. Ursid Meteor Shower 2024: दिसंबर में इस दिन होगी उल्काओं की बारिश! ऐसे देखें अद्भुत नजारा
  2. JioTag Go vs JioTag Air: Rs 1,499 में कौन सा डिवाइस ट्रैकर है बेस्ट?
  3. मारूति सुजुकी जनवरी में पेश करेगी अपना पहला इलेक्ट्रिक व्हीकल eVitara
  4. Lava Blaze Duo 5G फोन Rs 2 हजार सस्ते में खरीदने का मौका, 64MP कैमरा, 8GB रैम जैसे हैं फीचर्स
  5. OnePlus Watch 3 के लॉन्च से पहले रेंडर्स लीक, डिजाइन, बैटरी समेत कई फीचर्स का खुलासा
  6. सिंगल चार्ज में 11 घंटे चलने वाला Xiaomi Burgundy Red Mini ब्लूटूथ स्पीकर लॉन्च, जानें कीमत
  7. देश की EV इंडस्ट्री 2030 तक बढ़कर 20 लाख करोड़ रुपये की होगीः गडकरी 
  8. Pushpa 2 Collection Day 16: अल्लू अर्जुन की Pushpa-2 भारत में Rs 1000 करोड़ के पार!
  9. मिस्र के प्राचीन मकबरे में मिलीं 'सोने की जीभ' के साथ 13 ममी!
  10. बार-बार भूलते हैं चीजें? JioTag Go ढूंढकर देगा, जानें कीमत, और कैसे करता है काम
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2024. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »