स्मोकिंग की लत तमाम लोगों को इस दहलीज पर ले आती है कि उन्हें धूम्रपान छोड़ने के लिए दवाइयों और थेरेपी का सहारा लेना पड़ता है। इस दिशा में साइटिसिन (Cytisine) नाम का एक प्लांट बेस्ड कंपाउंड, प्लेसबो (placebo) से ज्यादा कारगर हो सकता है। एक
स्टडी में यह पता चला है कि साइटिसिन से स्मोकिंग छूटने की संभावना 2 गुना तक बढ़ जाती है। यह निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी से भी ज्यादा इफेक्टिव हो सकता है। रिसर्चर्स ने बताया है कि साइटिसिन नाम की दवा जिसे स्मोकिंग छोड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता है, उसे पूर्वी यूरोप में 1960 के दशक से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका हमारे स्वास्थ्य पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं देखा गया है।
एनडीटीवी की
रिपोर्ट में लिखा गया है कि इस कंपाउंड को मध्य और पूर्वी यूरोप में इस्तेमाल किया जाता है। दुनिया के बाकी देशों में इसे लाइसेंस नहीं मिला है। स्टडी कहती है कि इस कम खर्चीले कंपाउंड को अगर गरीब देशों में यूज किया जाए, तो ग्लोबल हेल्थ में एक बड़ा बदलाव आ सकता है।
जर्नल एडिक्शन में पब्लिश हुई स्टडी लगभग 6,000 मरीजों के रिजल्ट पर बेस्ड है। रिसर्चर्स ने प्लेसीबो के साथ साइटिसिन की तुलना करने वाले 8 टेस्ट किए। रिसर्चर्स इस नतीजे पर पहुंचे कि प्लेसबो की तुलना में साइटिसिन से स्मोकिंग बंद होने की संभावना दो गुना तक बढ़ जाती है।
रिसर्चर्स ने यह भी नोटिस किया कि निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी के मुकाबले साइटिसिन ज्यादा प्रभावी हो सकता है। रिसर्चर्स ने कहा कि उनकी स्टडी इस बात का सबूत देती है कि साइटिसिन एक प्रभावी और धूम्रपान को रोकने वाली सस्ती मदद है। गरीब देशों में धूम्रपान को कम करने में यह बहुत उपयोगी हो सकता है।
साइटिसिन को पहली बार 1964 में बुल्गारिया में टैबेक्स के रूप में संश्लेषित (synthesised) किया गया था और बाद में पूर्वी यूरोप तक इसका इस्तेमाल होने लगा था।