चीन अपने अंतरिक्ष कार्यक्रमों को तेजी से आगे ले जा रहा है। चीनी अंतरिक्ष एजेंसी हर उस मिशन के समकक्ष एक मिशन लॉन्च कर रही है, जहां नासा (Nasa) की मौजूदगी है। इस बार चीन ने अंतरिक्ष के मौसम की भविष्यवाणियों में सुधार और सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया है। इस स्पेसक्राफ्ट का नाम है- एडवांस्ड स्पेस-बेस्ड सोलर ऑब्जर्वेट्री (ASO-S)। शनिवार को इस स्पेसक्राफ्ट को चीन के ‘लॉन्ग मार्च 2डी रॉकेट' की मदद से इनर मंगोलिया में जिउक्वान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से अंतरिक्ष में भेजा गया।
रिपोर्टों के अनुसार, ASO-S स्पेसक्राफ्ट का उपनाम कुआफू -1 (Kuafu-1) है। इस नाम का जिक्र चीन की पौराणिक कथाओं में मिलता है, जिसने सूर्य का पीछा किया था। शिन्हुआ न्यूज एजेंसी के
अनुसार, लॉन्च के बाद कुआफू -1 स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी से लगभग 720 किलोमीटर ऊपर उसके लक्षित ऑर्बिट में सफलता के साथ डिप्लॉय कर दिया गया ।
चाइनीज अकैडमी ऑफ साइंस के अनुसार, ASO-S मिशन का प्रस्ताव पहली बार साल 2011 में चीनी हेलियोफिजिक्स कम्युनिटी ने दिया था। इस स्पेसक्राफ्ट में शामिल 888 किलोग्राम वजन वाला प्रोब अपने साथ 3 इंस्ट्रूमेंट लेकर गया है। इनकी मदद से सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र, सोलर फ्लेयर, कोरोनल मास इजेक्शन यानी CME और सुपरहीटेड प्लाज्मा की स्टडी की जाएगी।
गौरतलब है कि कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं। जब इनकी दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
मिशन से जुड़े चीनी अधिकारियों के मुताबिक, ASO-S का मकसद सोलर फ्लेयर्स और CME का एकसाथ ऑब्जर्वेशन करना है। मिशन के तहत यह भी समझने की कोशिश की जाएगी कि सूर्य के वायुमंडल की विभिन्न लेयर्स के जरिए ऊर्जा का ट्रांसपोर्टेशन कैसे किया जाता है। यह भी समझा जाएगा कि सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र की वजह से CME और सोलर फ्लेयर्स पर क्या असर होता है। ASO-S को 4 साल तक ऑपरेट करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह रोजाना करीब 500 गीगाबाइट डेटा जनरेट कर सकता है।