‘बेबी’ ग्रह को ढूंढना बहुत मुश्किल है, लेकिन वैज्ञानिकों ने यह भी कर दिखाया, जानें पूरा मामला

ऐसे ग्रहों को देखना बहुत मुश्किल होता है क्‍योंकि वो गैस और धूल की मोटी परतों में एम्बेडेड होते हैं।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 15 सितंबर 2022 19:07 IST
ख़ास बातें
  • हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों की सफलता
  • ‘नए जन्‍मे ग्रहों’ का पता लगाने के लिए एक मेथड डेवलप की
  • प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क की फिर से जांच करके पूरी की स्‍टडी

कहा गया है कि वैज्ञानिकों को उन सुरागों की तलाश करनी चाहिए जो उन्हें यह अनुमान लगाने में मदद कर सकें कि एक ग्रह धूल की आड़ में डेवलप हो रहा है।

ब्रह्मांड पर दुनियाभर के खगोलविदों की नजर रहती है। वो हर छोटी-बड़ी गतिविधि को मॉनिटर करते हैं। खगोलविदों ने ब्रह्मांड में सैकड़ों डिस्‍क देखी हैं, लेकिन वो कभी ग्रहों के जन्‍म और उनके गठन को ऑब्‍जर्व नहीं कर पाए हैं। याद रहे कि ग्रहों का निर्माण प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क से होता है, जो धूल का छल्‍ला होती है और नए जन्‍मे तारों को घेरकर रिंग बनाती है। बहरहाल हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के वैज्ञानिकों ने ‘नए जन्‍मे ग्रहों' का पता लगाने के लिए एक मेथड डेवलप की है। 

रिपोर्ट के अनुसार, एक बयान में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स में पोस्टडॉक्टरल फेलो, फेंग लॉन्‍ग ने कहा कि ‘युवा ग्रहों का प्रत्यक्ष रूप से पता लगाना बहुत चुनौतीपूर्ण है और अब तक केवल एक या दो मामलों में ही सफलता मिली है।' उन्‍होंने कहा कि ऐसे ग्रहों को देखना बहुत मुश्किल होता है क्‍योंकि वो गैस और धूल की मोटी परतों में एम्बेडेड होते हैं।

इसके बजाए वैज्ञानिकों को उन सुरागों की तलाश करनी चाहिए जो उन्हें यह अनुमान लगाने में मदद कर सकें कि एक ग्रह धूल की आड़ में डेवलप हो रहा है। लॉन्‍ग ने कहा कि पिछले कुछ साल में हमने डिस्क पर कई संरचनाएं देखी हैं। हमें लगता है कि यह ग्रह की मौजूदगी के कारण होती हैं, हालांकि ऐसा किसी और वजह से भी हो सकता है। सच का पता लगाने के लिए नई तकनीकों जरूरत है। 

लॉन्ग ने LkCa 15 नाम की एक प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क की फिर से जांच करके अपनी स्‍टडी शुरू की। यह पृथ्‍वी से लगभग 518 प्रकाश वर्ष दूर टॉरस तारामंडल में स्थित है। डिस्क में हो रहे ग्रह निर्माण के सबूत की रिपोर्ट करने के लिए वैज्ञानिकों ने ALMA ऑब्‍जर्वेट्री के ऑब्‍जर्वेशन को इस्‍तेमाल किया है। 

LkCa 15 के हाई-रेजालूशन ALMA डेटा की जांच करते हुए खगोलविद लॉन्ग ने दो विशेषताओं की खोज की। यह पहले नहीं दिख रही थीं। लॉन्‍ग ने प्रोटोप्लेनेटरी डिस्क में दो चमकीले ग्रुप्‍स का पता लगाया। लॉन्‍ग ने अपनी स्‍टडी में पाया कि दोनों के बीच लगभग 60 डिग्री में एक छोटा ग्रह है जो धूल के जमाव का कारण बन रहा है। यह लगभग नेपच्यून के आकार का है और एक से तीन मिलियन वर्ष पुराना है। यानी यह एक नवजान ग्रह है। हालां‍कि तकनीक मौजूद नहीं होने से इस ‘बेबी' ग्रह की सीधे इमेजिंग मुमकिन नहीं है। लॉन्‍ग का मानना है कि भविष्‍य में LkCa 15 के ALMA ऑब्‍जर्वेशन में कुछ और सबूत मिलेंगे, जिससे उनकी खोज को बल मिलेगा। लॉन्‍ग उम्‍मीद लगा रही हैं कि भविष्‍य में इस तरीके से युवा ग्रहों का पता लगाने के लिए एक दृष्टिकोण बनाया जा सकता है। 
 

 

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प्रेम त्रिपाठी Gadgets 360 में चीफ ...और भी

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