एक के बाद एक पृथ्वी के नजदीक से एस्टरॉयड गुजर रहे हैं। जिस वक्त आप यह खबर पढ़ रहे होंगे, एक और चट्टानी ‘आफत' ‘एस्टरॉयड 2008 RW' हमारी पृथ्वी के करीब से गुजर रहा होगा। एस्टरॉयड हमेशा से वैज्ञानिकों में जिज्ञासा जगाते रहे हैं। इन्हें तबतक मॉनिटर किया जाता है, जब तक यह पृथ्वी से बहुत दूर नहीं चले जाते। ऐसा इसलिए क्योंकि इनके पृथ्वी से टकराने की संभावना होती है। ‘एस्टरॉयड 2008 RW' के मामले में भी कुछ ऐसा ही है।
खगोलविदों की
चेतावनी थी कि ताजमहल के दोगुने साइज का यह एस्टरॉयड पृथ्वी के काफी नजदीक से गुजरेगा। अगर यह पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश कर जाता है, तो इसके धरती से टकराने की आशंका है। हालांकि ऐसा कुछ होने की उम्मीद ना के बराबर है और खगोलविदों की ऐसी चेतावनी एक प्रक्रिया होती है, जिसके बाद किसी एस्टरॉयड को ‘संभावित रूप से खतरनाक' की कैटिगरी में रखा जाता है।
बात करें इसकी पृथ्वी से दूरी की, तो जब यह एस्टरॉयड हमारे ग्रह के सबसे नजदीक होगा, तब भी इसके और पृथ्वी के बीच 67 लाख किलोमीटर की दूरी होगी। हालांकि एहतियात के तौर पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस एस्टरॉयड को संभावित रूप में खतरनाक की कैटिगरी में रखा है। जैसाकि ‘एस्टरॉयड 2008 RW' के नाम से ही पता चलता है कि इसकी खोज साल 2008 में हुई थी। यह एस्टरॉयड सूर्य का एक चक्कर लगाने में 1023 दिन लगाता है और तीन से चार साल में एक बार पृथ्वी के नजदीक आता है। बहरहाल यह एस्टरॉयड 10 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है।
नासा के अनुसार, इन्हें लघु ग्रह भी कहा जाता है। जैसे हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं, उसी तरह एस्टरॉयड भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं। लगभग 4.6 अरब साल पहले हमारे सौर मंडल के शुरुआती गठन से बचे हुए चट्टानी अवशेष हैं एस्टरॉयड। वैज्ञानिक अभी तक 11 लाख 13 हजार 527 एस्टरॉयड का पता लगा चुके हैं।
जब किसी एस्टरॉयड की खोज होती है, तो उसका नामकरण इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन कमिटी करती है। नाम कुछ भी हो सकता है, लेकिन साथ में एक नंबर भी उसमें जोड़ा जाता है जैसे- (99942) एपोफिस। कलाकारों, वैज्ञानिकों, ऐतिहासिक पात्रों के नाम पर भी एस्टरॉयड का नाम रखा जाता है।