भारत के पहले सौर मिशन
‘आदित्य एल-1' (Aditya L1) ने अपनी कक्षा की ओर एक और कदम बढ़ा दिया है। सूर्य को स्टडी करने के लिए निकले ‘इसरो' के इस स्पेसक्राफ्ट ने शुक्रवार तड़के चौथी बार सफलतापूर्वक
पृथ्वी की एक कक्षा (orbit) से दूसरी कक्षा में प्रवेश किया। भारतीय स्पेस एजेंसी ने यह जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स' पर शेयर की है। स्पेस एजेंसी ने एक पोस्ट में लिखा कि चौथी बार पृथ्वी के ऑर्बिट में बदलाव की प्रक्रिया (ईबीएन-4) को पूरा कर लिया गया है। इसरो ने बताया है कि मॉरीशस, बंगलूरू, एसडीएससी-एसएचएआर और पोर्ट ब्लेयर में इसरो के ‘ग्राउंड स्टेशनों' ने इस अभियान के दौरान स्पेसक्राफ्ट को मॉनिटर किया।
ऑर्बिट यानी कक्षा में बदलाव के बाद आदित्य एल-1 की पृथ्वी से न्यूनतम दूरी 256 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 1 लाख 21 हजार 973 किलोमीटर हो गई है। इसरो ने बताया है कि कक्षा में बदलाव की अगली प्रक्रिया 19 सितंबर को देर रात लगभग 2 बजे की जाएगी।
आदित्य-एल-1 भारत की पहली स्पेस बेस्ड ऑब्जर्वेट्री है। यह पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर सूर्य-पृथ्वी के पहले लैग्रेंजियन पॉइंट (एल1) के चारों ओर सूर्य की स्टडी करेगी। आपको यह दूरी बहुत ज्यादा लग सकती है, लेकिन यह पृथ्वी और सूर्य की कुल दूरी का सिर्फ 1 फीसदी है।
आदित्य-एल-1 की कक्षा में पहले भी बदलाव किया जा चुका है। तीन, पांच और 10 सितंबर को एक के बाद एक तीन बार स्पेसक्राफ्ट की कक्षा में बदलाव किया गया था। आदित्य एल-1 मिशन ने इस महीने 2 सितंबर को उड़ान भरी थी। इसका लक्ष्य सूर्य-पृथ्वी के पहले लैग्रेंजियन पॉइंट (एल1) पर पहुंचना है। यह पृथ्वी और सूर्य के बीच एक संतुलित गुरुत्वाकर्षण वाली जगह है, जिसे स्पेस एजेंसियां ‘पार्किंग' भी कहती हैं।
एल1 पॉइंट पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर है। यहां से सूर्य पर हमेशा नजर रखी जा सकती है। जब मिशन अपना काम शुरू कर देगा तो इसरो को रियलटाइम में सौर गतिविधियों का पता चल पाएगा। आदित्य स्पेसक्राफ्ट अपने साथ 7 साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स लेकर गया है। ये सभी स्वेदशी हैं और भारत के विभिन्न विभागों द्वारा तैयार किए गए हैं। इंस्ट्रूमेंट्स की मदद से सूर्य के अलग-अलग हिस्सों को स्टडी किया जाएगा।