धरती से 400 किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में तैनात होकर
पृथ्वी का चक्कर लगा रहा
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) अंतरिक्ष यात्रियों के लिए उनका दूसरा घर है। स्पेस स्टेशन में वैज्ञानिकों की एक टीम हमेशा तैनात रहती है और वहां से कई तरह के स्पेस मिशनों को पूरा करती है। धरती का चक्कर लगाते समय स्पेस स्टेशन को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सबसे बड़ी चुनौती होती है खत्म हो चुके सैटेलाइट्स के मलबे की। ये मलबा अंतरिक्ष में घूमता रहता है और कई बार स्पेस स्टेशन के सामने आ जाता है। हाल में ऐसा ही हुआ। स्पेस स्टेशन कक्षीय मलबे (orbital debris) की चपेट में आने से बच गया। यह सब तब हुआ, जब एक कार्गो शिप, स्पेस स्टेशन में पहुंचने वाला था।
न्यूज एजेंसी TASS ने रूसी स्पेस एजेंसी रोस्कोस्मोस को हवाले से यह
इन्फर्मेशन दी है। बताया जाता है कि मलबे की टक्कर से बचने के लिए आईएसएस की कक्षा को 900 मीटर तक ऊपर कर दिया गया। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, स्पेस स्टेशन की कुल ऊंचाई पृथ्वी से 417.98 किलोमीटर हो गई थी।
हालांकि नासा ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है। स्पेस में आने वाला मलबा सैटेलाइट्स के लिए चिंता की बड़ी बात है। इस साल ऐसा दूसरी बार हुआ है जब मलबे की टक्कर से बचने के लिए आईएसएस की कक्षा में बदलाव किया गया। आंकड़े बताते हैं कि साल 1999 के बाद से पिछले साल दिसंबर तक आईएसएस की कक्षा में 32 बार बदलाव किया गया है, ताकि उसे अंतरिक्ष में मलबे के साथ टक्कर होने से बचाया जा सके।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन कई देशों का जॉइंट प्रोजेक्ट है। इसमें अमेरिका और रूस भी शामिल हैं। आईएसएस पर अंतरिक्ष यात्रियों का एक दल हमेशा तैनात रहता है और विज्ञान से जुड़े प्रयोगों व दूसरे कामों को पूरा करता है। आईएसएस पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाता है। यह जिन देशों के ऊपर से गुजरता है, उसकी जानकारी शेयर करता है। भविष्य में स्पेस स्टेशन को डीऑर्बिट यानी हटाने की तैयारी है।
नासा कह चुकी है कि आईएसएस को साल 2030 और 2031 के बीच हटा दिया जाएगा। नासा का कहना है कि वह इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बिजनेस से बाहर निकल जाएगी।