भारत के लिए आज ऐतिहासिक दिन है। देश का पहला स्वेदशी एयरक्राफ्ट कैरियर 'आईएनएस विक्रांत' (INS Vikrant) भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोचीन शिपयार्ड में एक भव्य समारोह के दौरान आईएनएस विक्रांत को कमीशन दिया। 45 हजार टन वजन वाले इस युद्धपोत को 20 हजार करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। स्वदेशी होने के बावजूद यह एयरक्राफ्ट कैरियर तकनीक के मामले में विदेशी युद्धपोतों के समकक्ष खड़ा होता है। आइए इसकी खूबियों को विस्तार से जानते हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, INS विक्रांत भारतीय नौसेना के लिए नया नाम नहीं है। 31 जनवरी 1997 को नेवी से इसे रिटायर कर दिया गया था। एक लंबे अंतराल बाद नए INS विक्रांत को तैयार किया गया है, जो स्वदेशी है।
इस एयरक्राफ्ट को तैयार करते समय सबसे ज्यादा जोर इस बात पर दिया गया कि यह भारत की आत्मनिर्भरता को दिखाए। साथ ही तकनीक और सुविधाओं के मामले में शानदार उदाहरण बने। आईएनएस विक्रांत देश का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है और भारत में बना सबसे बड़ा युद्धपोत है।
आईएनएस विक्रांत 262 मीटर लंबा और 62 मीटर चौड़ा है, जो इसके फ्लाइट डेक को फुटबॉल के दो मैदानों से भी बड़ा बनाता है। यह 28 समुद्री मील की अधिकतम डिजाइन स्पीड के साथ सफर कर सकता है। इसमें एकसाथ 30 एयरक्राफ्ट रखे जा सकते हैं साथ ही 15 डेक भी हैं।
आईएनएस विक्रांत में एक चलता-फिरता मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल भी है। इसके मेडिकल कॉम्प्लेक्स में मॉड्यूलर इमरजेंसी ऑपरेशन थिएटर, फिजियोथेरेपी क्लिनिक, इंटेंसिव केयर यूनिट, पैथोलॉजी सेट अप, सीटी स्कैनर के साथ रेडियोलॉजी विंग व एक्स-रे मशीन, एक डेंटल कॉम्प्लेक्स, आइसोलेशन वार्ड और टेलीमेडिसिन सुविधाओं के साथ 16 बेड का अस्पताल मौजूद है।
आपको हैरानी होगी जानकर कि आईएनएस विक्रांत 18 मंजिल ऊंचा जहाज है। जहाज में करीब 2,400 कंपार्टमेंट्स हैं, जिन्हें 1,600 क्रू मेंबर्स के लिए डिजाइन किया गया है। महिला अधिकारियों और सेलर्स के लिए विशेष केबिन भी बनाए गए हैं।
इसका एविएशन हैंगर दो ओलंपिक साइज पूल जितना बड़ा है, जिसमें लगभग 20 एयरक्राफ्ट आ सकते हैं। इसके अलावा एक हाईटेक किचन को सेटअप किया गया है जो कई तरह के मीनू सर्व कर सकता है। यहां एक घंटे में 3 हजार रोटियां बनती हैं। आईएनएस विक्रांत का फ्लाइट ट्रायल नवंबर तक शुरू होने वाला है। इसके 2023 के मध्य तक पूरी तरह से चालू होने की उम्मीद है।