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251 रुपये के स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी ने अलापा घाटे का राग, मांगी मोदी सरकार से मदद

मात्र 251 रुपये का स्मार्टफोन बेचने की योजना रखने वाली रिंगिंग बेल्स कंपनी अब केंद्र सरकार की शरण में चली गई है। नोएडा स्थित इस स्मार्टफोन निर्माता कंपनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से मदद मांगी है।

251 रुपये के स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनी ने अलापा घाटे का राग, मांगी मोदी सरकार से मदद
ख़ास बातें
  • फ्रीडम 251 स्मार्टफोन लॉन्च करके सुर्खियों में आई थी रिंगिंग बेल्स कंपनी
  • मात्र 251 रुपये में स्मार्टफोन बेचने से हो रहा है कंपनी को नुकसान
  • डिजिटिल इंडिया प्रोग्राम के तहत कंपनी ने मांगी है मोदी सरकार से मदद
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मात्र 251 रुपये का स्मार्टफोन बेचने की योजना रखने वाली रिंगिंग बेल्स कंपनी अब केंद्र सरकार की शरण में चली गई है। नोएडा स्थित इस स्मार्टफोन निर्माता कंपनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार से मदद मांगी है, ताकि घाटे का सौदा बन चुके इस योजना को 'करोड़ो लोगों के लिए सफल' बनाया जा सके।

रिंगिंग बेल्स प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ मोहित गोयल ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस से कहा, ''कंपनी के लिए हर हैंडसेट की कीमत 1180 रुपये पड़ रही है। शुरुआत में हर हैंडसेट पर नुकसान 930 रुपये का था। इस हैंडसेट के लिए पार्ट्स ताइवान से आयात किए गए थे।"

गोयल ने आईएनएएस से कहा, ''हम ऐप डेवलपर्स और फ्रीडम 251 की वेबसाइट पर विज्ञापन के जरिए 700-800 रुपये के नुकसान की भरपाई करने में कामयाब रहे। अब स्मार्टफोन को 251 रुपये में बेचने पर हमें करीब 180-270 रुपये का नुकसान हो रहा है।''

फ्रीडम 251 स्मार्टफोन के पहले जत्थे को डिलिवरी 8 जुलाई से शुरू हो जाएगी। यूनिट मिलने पर यूज़र को कुल 291 रुपये देने होंगे जिसमें 40 रुपये की डिलिवरी चार्ज भी शामिल है।

गोयल ने कहा, ''हर भारतीय के डिजिटल सशक्तिकरण के लिए अगर हमें भारत सरकार से डिजिटल इंडिया प्रोग्राम के तहत मदद मिले तो हम सभी नागरिकों को इसी कीमत में फ्रीडम 251 मुहैया कराने में सक्षम होंगे।"

रिंगिंग बेल्स ने 28 जून को प्रधानमंत्री कार्यालय को एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के लिए अर्जी दी गई है।

गोयल को सरकार से बड़ी उम्मीदें हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार 50,000 करोड़ रुपये देती है तो वह सुनिश्चित तौर पर 251 रुपये स्मार्टफोन के जरिए देश की 75 करोड़ आबादी को डिजिटल इंडिया से जोड़ पाने में कामयाब होंगे।

उन्होंने कहा कि ज़रूरी नहीं है कि सरकार कंपनी को पैसे दे। वह दूसरे वेंडर से भी स्मार्टफोन का निर्माण करवा सकती है। बस हमारे फ्रीडम ब्रांड का इस्तेमाल किया जाए।
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