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स्मार्टफोन खरीदना पड़ेगा जेब पर भारी, GST काउंसिल ने बढ़ाया 6 प्रतिशत टैक्स

पहले एक फोन पर 12 फीसदी जीएसटी दर वसूली जाती थी, लेकिन अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया है। यानी कि फोन के टैक्स में 6 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है।

स्मार्टफोन खरीदना पड़ेगा जेब पर भारी, GST काउंसिल ने बढ़ाया 6 प्रतिशत टैक्स

यह फैसला रविवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने लिया।

ख़ास बातें
  • वित्त मंत्रालय के इस फैसले के बाद महंगा होगा फोन खरीदना
  • 12 फीसदी के टैक्स स्लैब को अब किया 18 फीसदी
  • कारोबारियों को सहूलियत देने के लिए सरकार ने सुझाए हैं कुछ उपाय
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फोन आज के समय में हमारी जरूरत बन चुका है, और अब यह जरूरत हमारी जेब पर भारी पड़ने वाली है। दरअसल, सरकार ने अब स्मार्टफोन पर लगने वाले वस्तु एवं सेवा कर (GST) को बढ़ा दिया है। पहले एक फोन पर 12 फीसदी जीएसटी दर वसूली जाती थी, लेकिन अब सरकार ने इसे बढ़ाकर 18 फीसदी कर दिया है। यानी कि फोन के टैक्स में 6 फीसदी की बढ़ोतरी की गई है। यह फैसला रविवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने लिया।

इस फैसले पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, "इस बदलाव से भारत में एमआरओ सेवा स्थापित करने में मदद मिलेगी।"

आपको बता दें कि फोन पर बढ़ाया गया शुल्क केंद्र एवं राज्यों के जीएसटी अधिकारियों की सिफारिश पर लिया गया है। अधिकारियों की फिटमेंट कमिटी ने मोबाइल फोन, फुटवेयर, टेक्सटाइल्स एवं फर्टिलाइजर्स जैसे मदों पर शुल्क की उल्टी संरचना (इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर) को दुरुस्त करने के लिए जीएसटी दर संरचना में बदलाव की सिफारिश की थी।

इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर का अर्थ, ऐसी टैक्स संरचना से है जहां तैयार उत्पादों के मुकाबले इनपुट पर ज्यादा टैक्स वसुला जाए। इसके फलस्वरूप विभिन्न प्रशासनिक व अनुपालन संबंधी मसलों के अलावा वस्तुओं के लिए अधिक इनपुट क्रेडिट का दावा किया जाता है।

जीएसटी परिषद ने कारोबारियों को सहूलियत देने के लिए कई उपाय किए। इन उपायों के मुताबिक, जीएसटी भुगतान में विलंब होने पर ब्याज नेट टैक्स कैश लायबिलिटी पर लिया जाएगा, जोकि एक जुलाई 2017 से ही लागू होगा। इसके लिए जीएसटी कानून में संशोधन किया जाएगा। जिनका पंजीकरण 14 मार्च, 2020 तक रद्द कर दिया गया है, वे पंजीकरण निलंबन निरस्त कराने के लिए इस साल जून तक आवेदन कर सकते हैं।

वहीं, हर पंजीकृत व्यक्ति को उसके आपूर्तिकर्ता के संबंध में जरूरी जानकारी हासिल करने के लिए समर्थ बनाने के मकसद से 'अपने आपूर्तिकर्ता को जानिए' की एक नई सुविधा शुरू की जाएगी।एमएसएमई सेक्टर को राहत प्रदान करने के लिए जीएसटी परिषद ने वित्तवर्ष 2018-19 से जून 2020 के लिए सालाना रिटर्न व समाधान विवरण दाखिल करने की तिथि बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। साथ ही, दो करोड़ रुपये से अधिक के टर्नओवर वाले करदाताओं पर वित्तवर्ष 2017-18 और 2018-19 के लिए सालाना रिटर्न व समाधान विवरण दाखिल करने में विलंब होने पर विलंब शुल्क नहीं लगेगा।
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