Selfie का क्रेज़ आज के दौर में किस कदर हावी है, इसे बताने की ज़रूरत नहीं है। स्मार्टफोन कैमरे का सबसे ज्यादा इस्तेमाल आज सेल्फी के लिए ही हो रहा है। सेल्फी की लोकप्रियता का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि आज 'सेल्फी फोन', 'कैमरा फोन' नाम से स्मार्टफोन मौज़ूद हैं। बाज़ार भी सेल्फी सेंट्रिक फोन की ज़रूरतों को समझते हुए नए-नए प्रयोग कर रहा है। सेल्फी सिर्फ एक फीचर नहीं रहा। इससे प्रेरित होकर 'ग्रुफी' और 'बोथी' जैसे नाम बनाए गए। कंपनियां सेल्फी के साथ ब्यूटीफिकेशन मोड दे रही हैं तो ब्रांड 'बोथी' फीचर वाले फोन बाज़ार में उतार चुके हैं।
लेकिन अक्सर आपके ज़ेहन में यह सवाल शायद आया होगा कि आखिर क्या बला है यह सेल्फी, कैसे शुरू हुई होगी इसकी कहानी, किसने ली होगी पहली सेल्फी, कैसा रहा है शुरू से लेकर अभी तक का 'सेल्फी सफर'? दरअसल, इन सभी सवालों के जवाब मौज़ूद हैं। आज हम आपको सिलसिलेवार ढंग से बताते हैं कि कहां से शुरू हुई सेल्फी की दास्तां...
पहली सेल्फी
वह साल 1839 में अक्टूबर या नवंबर का महीना था। 30 वर्षीय रॉबर्ट कॉर्नेलियस ने फिलाडेल्फिया में अपने पिता की दुकान के पीछे वाले हिस्से में कैमरा सेटअप किया। लेंस कैप बाहर निकाले, फ्रेम के सामने 5 मिनट दिए और लेंस कैप दोबारा लगा दिया। उसके बाद जो तस्वीर निकलकर आई, उसे पहला सेल्फ-पोर्ट्रेट (और अब की भाषा में 'सेल्फी') कहा गया। बाद में रॉबर्ट एक मशहूर फोटॉग्रफर के तौर पर पहचाने गए। उनके पिता का लैंप बिजनेस था, जिसे उन्होंने 20 साल तक चलाया। बाद में यह व्यवसाय अमेरिका के सबसे बड़े लैंप व्यवसाय के तौर पर स्थापित हुआ। कुछ जानकारों का यह भी मानना है कि रॉबर्ट को पहली 'सेल्फी' लेने में 3 मिनट लगे थे। तस्वीर आने के बाद उन्होंने लिखा था, "The first light picture ever taken"
साल 2013 में मिली Selfie को मिली पहचान
साल 2013 में प्रतिष्ठित ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में सेल्फी शब्द को शामिल किया गया। सेल्फी को कुछ यूं परिभाषित किया गया। ''एक फोटोग्राफ, जिसे किसी ने खुद लिया है या अपने स्मार्टफोन या वेबकैम से ली गई अपनी ही तस्वीर, जिसे किसी सोशल मीडिया वेबसाइट पर पोस्ट किया गया हो।'' तथ्य यह भी है कि 'Selfie' को साल 2013 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने Word of the Year का खिताब भी दिया।
1966 में इस अंतरिक्ष वैज्ञानिक ने भी ली Selfie
अमेरिकी अंतरिक्ष वैज्ञानिक
बज़ ऐल्ड्रिन ने साल 1966 में जेमिनी 12 मिशन के दौरान अंतरिक्ष से सेल्फी ली थी। कुछ लोगों का मानना है कि दरअसल, 'पहली सेल्फी' यही थी। बज़ ऐल्ड्रिन, अपनी इस उपलब्धि को ट्वीट कर बता चुके हैं कि उन्होंने स्पेस से पहली सेल्फी ली थी। इस सेल्फी में उनके अलावा बैकग्राउंड में धरती दिख रही है। एक मीडिया चैनल से बातचीत में उन्होंने बताया था, मुझे उस वक्त बिल्कुल अंदाज़ा नहीं था कि मैं एक सेल्फी ले रहा हूं। 1966 के अपने ट्रेनिंग मिशन में ऐल्ड्रिन एक्सट्रा व्हीक्युलर ऐक्टिविटी की जांच कर रहे थे। उन्होंने अंतरिक्ष यात्री के तौर पर अपना करियर साल 1963 में शुरू किया था।
तस्वीर - @Anon_GovWatch/Twitter
Selfie आधारित स्मार्टफोन की दस्तक और सेल्फी पर शोध
Oppo और Vivo जैसे ब्रांड भारत में सेल्फी के बढ़ते क्रेज़ को समझा और खास तौर से 'कैमरा फोन' नाम से स्मार्टफोन पेश किए। 'बोथी' फीचर Nokia 7 प्लस और Nokia 8 में दिया गया। जिनमें यह सुविधा थी कि यूज़र फ्रंट व डुअल, दोनों कैमरों का इस्तेमाल कर फोटॉग्रफी का बेहतर अनुभव ले सकें। आज सेल्फी के साथ-साथ ब्यूटीफिकेशन मोड, बोकेह इफेक्ट जैसी सुविधाएं कंपनियां स्मार्टफोन में दे रही हैं। देश-दुनिया में सेल्फी के क्रेज़ पर कई शोध भी जारी हैं। पिछले साल आए एक शोध में बताया गया था कि सेल्फी के कारण 18 महीनों के भीतर दुनिया में 127 मौतें हुईं।
हैरानी भरी बात यह रही कि इन मौतों में से 60 फीसदी आंकड़ा भारत का था। एक शोध में कहा गया कि सेल्फी की लत लोगों से उनकी उम्र छीन रही है। कुछ डॉक्टर्स ने कहा था कि लगातार अपनी फोटो लेते रहने की लत ‘सेल्फी एल्बो’ की वजह बन सकती है। इस बीमारी में कुहनी में दर्द की शिकायत रहने लगती है। अमेरिका के मेडिसिन विशेषज्ञ जॉर्डन मेट्जल के मुताबिक, सेल्फी लेने के लिए जब हम हाथ ऊपर उठाते हैं, तो कुहनी मुड़ी हुई रहती है। लोग इसी स्थिति में लगातार 20-30 क्लिक कर जाते हैं। ऐसे में मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड़ता है।
इसके अलावा ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी की अध्ययन रिपोर्ट में सामने आ चुका है, जो पुरुष ज़रूरत से ज्यादा सेल्फी लेते हैं और पोस्ट करते हैं, उनमें 'खुद को बड़ा दिखाने का स्तर' और मानसिक बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। रिपोर्ट में 19 वर्षीय डैनी बोमैन का उदाहरण दिया गया, जिसने स्कूल छोड़ दिया गया और अपने घर से 6 महीने तक इसलिए बाहर नहीं निकला कि उसकी सर्वश्रेष्ठ सेल्फी नहीं आ पा रही थी। उसने हर दिन 200 सेल्फी लेने में 10 घंटे बर्बाद किए। जब भी उसके माता-पिता ने उसे रोका तो वह उन पर नाराज़ हो जाता था।
पढ़ें - 20,000 रुपये तक है बजट तो ये हैं बेस्ट कैमरा स्मार्टफोन ये तो हुईं शोध और तथ्य की बातें, अब हम आपको बताना चाहेंगे कि बाज़ार में सेल्फी आधारित कई स्मार्टफोन मौज़ूद हैं लेकिन आप उनका चुनाव हमारे रिव्यूज़ के आधार पर करें। ज़रूरी नहीं है कि 'सेल्फी फोन' नाम से जारी किया गया हर स्मार्टफोन बेहतर कैमरा क्वालिटी के साथ आ रहा है। आम तौर पर हम सेल्फी लेते हुए कैमरा गुणवत्ता से ज्यादा ब्यूटीफिकेशन और फोकस मोड्स पर ज्यादा ध्यान देते हैं।