लगभग दो हफ्ते पहले यह खबर देश में आग की तरह फैल गई थी कि भारत सरकार 12,000 रुपये से कम कीमत के बजट स्मार्टफोन को देश में बैन करने की तैयारी कर रही है। इस तरह देश में चीनी स्मार्टफोन ब्रांड को सीमित रखने की योजना हो सकती है, क्योंकि वर्तमान में सब-12,000 सेगमेंट में सबसे ज्यादा Realme, Vivo, Xiaomi आदि ब्रांड्स का कब्जा है। एक लेटेस्ट मीडिया रिपोर्ट कहती है कि भारत सरकार चीनी वेंडर्स को टार्गेट करते हुए एक निष्पक्ष और खुली प्रतिस्पर्धा का वातावरण बनाने के लिए सुझाव खोज रही है।
The Economics Times के
अनुसार, सुझावों में स्थानीय फर्मों के साथ अनिवार्य मैन्युफैक्चरिंग जॉइंट्स वेंचर, एक विश्वसनीय सोर्स लिस्ट बनाना, भारतीय मानक ब्यूरो का लाभ उठाना, निर्यात पर जोर देना और भारतीय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम बनाने के लिए ग्लोबल दिग्गजों के साथ साझेदारी करना शामिल है। इन सुझावों को सितंबर के पहले होफ्ते में भारत सरकार को सौंपे जाने की उम्मीद है।
Digitimes Asia ने Business Standard की रिपोर्ट का हवाले देते हुए
बताया कि भारत में चीनी वेंडर द्वारा निर्मित मोबाइल फोन का वैल्यू एडिशन सिर्फ 12-18% है, जबकि भारत के अधिकांश बाजार में चीनी स्मार्टफोन का योगदान है। इसके अलावा, चीनी स्मार्टफोन निर्माता Apple की तुलना में बहुत कम फोन निर्यात करते हैं, जिससे भारत के लिए बहुत कम आर्थिक लाभ होता है। इसलिए, भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने चीनी डिवाइस मैन्युफैक्चरर्स को भारत से निर्यात को आगे बढ़ाने और देश में अपनी सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए कहा है।
वहीं, रिपोर्ट में JW Insights की रिपोर्ट का हवाला भी दिया गया है, जहां बताया गया है कि Oppo ने भारत में अपनी सहायक कंपनी को मोबाइल फोन वितरण अधिकार सौंप दिए और सात साल से भारत में ऑपरेशन के बाद से घाटे में चल रहा है। भारतीय अधिकारियों का मानना है कि ओप्पो ने अपना मुनाफा भारत से चीन को हस्तांतरित किया।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि स्मार्टफोन की बढ़ती घरेलू मांग के कारण Xiaomi ने मार्च 2021 में अपनी भारत निर्यात योजना को टाल दिया था।