भारत में इस्तेमाल किए गए आईफोन को नया जैसा बनाकर बेचने की योजना को करारा झटका लगा है। सरकारी अधिकारियों ने जानकारी दी है कि इस योजना को मंजूरी नहीं दी गई है। सरकार के इस फैसले को अमेरिकी टेलीकॉम कंपनी के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है जो अपने फ्लैगशिप स्मार्टफोन की बिक्री को बढ़ाने की कोशिश में जुटी है।
ऐप्पल अमेरिका सहित कई देशों में पुराने फोन को नए जैसा बना कर बेचती है। और इन हैंडसेट की कीमत भी नए फोन की तुलना में कम होती है। कंपनी इस योजना के जरिए भारतीय स्मार्टफोन मार्केट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रही थी।
सरकार ने ऐप्पल के इस प्रस्ताव को उन नियमों का उल्लंघन बताया है जिनमें इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक्स सामग्रियों को आयात को मंजूरी नहीं दी गई है।
टेलीकॉम मंत्रालय के प्रवक्ता एनएन कॉल ने कहा, ''भारत खतरनाक सामग्री की डंपिंग और रीसाइक्लिंग का समर्थन नहीं करता।''
हमने ऐप्पल की एक प्रवक्ता से इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया मांगी है जिनका जवाब अभी नहीं मिला है।
रीफर्बिश्ड आईफोन आमतौर पर वो डिवाइस होते हैं जिन्हें खरीददार द्वारा लौटाया जाता है या फिर क्षतिग्रस्त होने पर कंपनियां द्वारा नया जैसा बनाया जाता है।
ऐप्पल के इस प्रस्ताव का विरोध घरेलू फोन निर्माताओं द्वारा किया गया था। उनका कहना था कि इस्तेमाल किए गए आईफोन को बेचना भारत के एंटी-डंपिंग नियमों के खिलाफ होगा। कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और एप्लियांसेज मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन इस संबंध में दूरसंचार मंत्रालय को चिट्ठी भी लिखी थी।
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