दक्षिण भारत में स्थित iPhones असेंबल करने वाले फॉक्सकॉन Foxconn प्लांट में महिलाओं के सामने बिना फ्लश वाले टॉइलट्स, भीड़ से भरीं डॉर्मिटरी और कई बार खाने में मिलने वाले कीड़े जैसी समस्याएं थीं। उनका गुस्सा तब बढ़ गया, जब दूषित खाने की वजह से 250 वर्कर्स बीमार हो गए। प्रोटेस्ट का नतीजा यह हुआ कि 17000 वर्करों वाले इस प्लांट को बंद कर दिया गया। 17 दिसंबर के विरोध से पहले और बाद की घटनाओं पर रॉयटर्स द्वारा एक नजदीकी नजर फॉक्सकॉन में रहने और वहां काम करने के हालात पर रोशनी डालती है।
चेन्नै के पास फॉक्सकॉन प्लांट में काम करने वाली छह महिलाओं से रॉयटर्स ने बात की। नौकरी जाने और पुलिस की कार्रवाई के डर से इन सभी ने उनका नाम नहीं लिखने का अनुरोध किया।
उनमें से पांच ने बताया कि वह कमरों में फर्श पर सोती थीं, जहां एक कमरे में 6 से 30 महिलाएं होती थीं। दो वर्कर्स ने बताया कि वह जिन हॉस्टल में रहती थीं, वहां बिना पानी वाले टॉइलट्स थे।
विरोध के बाद प्लांट छोड़ देने वालीं 21 साल की एक महिला वर्कर ने रायटर को बताया कि हॉस्टल में रहने वाले लोगों को हमेशा कोई न कोई बीमारी होती थी। त्वचा की एलर्जी, सीने में दर्द, फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं होती थीं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में एक-दो वर्कर्स को फूड पॉइजनिंग हुई। तब हमने उसे गंभीरता से नहीं लिया। सोचा कि इसे ठीक कर लिया जाएगा। लेकिन अब इसने कई लोगों को बीमार किया है।
ऐपल और फॉक्सकॉन ने अपनी जांच पाया है कि प्लांट में वर्कर्स के लिए इस्तेमाल की जाने वालीं कुछ डॉर्मिटरी और डाइनिंग रूम जरूरी मानकों को पूरा नहीं करते हैं। Apple ने एक बयान में कहा कि फैसिलिटी को प्रोबेशन पर रखा गया है। Apple सुनिश्चित करेगी कि प्लांट दोबारा शुरू होने से पहले मानकों को पूरा किया जाए।
डॉर्मिटरी चलाने वाली फॉक्सकॉन की ठेकेदार वेनपा Venpa स्टाफिंग सर्विसेज इसे इस मामले में कमेंट करने से इनकार कर दिया। तमिलनाडु के उद्योग मंत्री थंगम थेन्नारासु ने रॉयटर्स को बताया कि फूड पॉइजनिंग और उसके बाद हुए विरोधों की जांच राज्य चार एजेंसियां कर रही हैं। सरकार के सीनियर अफसरों ने कहा है कि उन्होंने फॉक्सकॉन को स्थितियां बेहतर करने को कहा है। यह फॉक्सकॉन की जिम्मेदारी है।
Apple और Foxconn ने अपने बयान में यह नहीं बताया है कि प्लांट कब से खुलेगा। राज्य के उद्योग विभाग के एक सीनियर अफसर ने रायटर को बताया कि फॉक्सकॉन ने प्रोडक्शन को तेजी से बढ़ाने की बात कही थी। हालांकि कोविड की दूसरी लहर के दौरान प्रोडक्शन में कटौती की गई थी। फॉक्सकॉन ने 25000 नौकरियां पैदा करने के वादे के साथ 2019 में प्लांट खोला था।
वर्कर्स के विरोध के बाद फूड सेफ्टी इंस्पेक्टर्स ने उन हॉस्टल की विजिट की, जहां फूड पॉइजनिंग का मामला आया था। तिरुवल्लूर जिले के एक सीनियर फूड सेफ्टी ऑफिसर जगदीश चंद्र बोस ने रायटर को बताया कि सैंपल जांच में पता चला कि वह सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करते थे। उन्होंने कहा कि फॉक्सकॉन प्लांट में काम करने वाली महिलाएं एक महीने में लगभग $140 (लगभग 10,500 रुपये) कमाती हैं और फॉक्सकॉन के ठेकेदार को रहने व खाने के लिए पेमेंट करती हैं। एक महिला वर्कर यूनियन की प्रमुख ने कहा कि ज्यादातर वर्कर 18 से 22 के बीच हैं और तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों से आती हैं।
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