अमेरिकी डिवाइसेज मेकर एपल ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी मैन्युफैक्चरिंग को तेजी से बढ़ाया है। कंपनी की मैन्युफेक्चरिंग में भारत की हिस्सेदारी भी लगातार बढ़ रही है। देश में Apple के iPhone की मैन्युफैक्चरिंग मौजूदा फाइनेंशियल ईयर के अप्रैल से अक्टूबर के बीच 10 अरब डॉलर (लगभग 84,000 करोड़ रुपये) पर पहुंच गई है।
हालांकि, कंपनी की मैन्युफैक्चरिंग में चीन की बड़ी हिस्सेदारी है। IT मिनिस्टर Ashwini Vaishnaw ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर
पोस्ट में एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से बताया कि देश में एपल की मैन्युफैक्चरिंग बढ़ रही है। कंपनी की 10 अरब डॉलर की FoB मैन्युफैक्चरिंग में एकाउंट सेल्स, डिस्ट्रीब्यूशन, मार्केटिंग, लॉजिस्टिक्स और मार्जिन को शामिल होने पर यह वैल्यू लगभग 15 अरब डॉलर की होती है। इस कुल वैल्यू में आईफोन्स के एक्सपोर्ट की हिस्सेदारी लगभग सात अरब डॉलर है। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी के लिए अक्टूबर में मैन्युफैक्चरिंग दो अरब डॉलर के साथ एक महीने में सबसे अधिक रही है।
एपल की मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ोतरी में केंद्र सरकार की प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम की महत्वपूर्ण भूमिका है। पिछले चार वर्षों में कंपनी ने देश में लगभग 1,75,000 रोजगार के अवसर बनाए हैं। मौजूदा वित्त वर्ष में
कंपनी का लक्ष्य 18 अरब डॉलर की मैन्युफैक्चरिंग का है। सरकार ने लैपटॉप्स से लेकर स्मार्टफोन्स के लिए कंपोनेंट्स की लोकल मैन्युफैक्चरिंग करने पर इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर की कंपनियों को पांच अरब डॉलर (लगभग 42,221 करोड़ रुपये) के इंसेंटिव्स देने की योजना बनाई है। इससे चीन से होने वाली सप्लाई को घटाया जा सकेगा।
पिछले छह वर्षों में देश में इलेक्ट्रॉनिक्स की मैन्युफैक्चरिंग दोगुने से अधिक बढ़कर लगभग 115 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। इसमें एपल और दक्षिण कोरिया की Samsung के स्मार्टफोन्स की मैन्युफैक्चरिंग में ग्रोथ का बड़ा योगदान है। दुनिया में भारत चौथा सबसे बड़ा स्मार्टफोन्स का सप्लायर बन गया है। देश में पिछले वित्त वर्ष में एपल का रेवेन्यू लगभग 36 प्रतिशत बढ़कर 67,121 करोड़ रुपये से अधिक का रहा है। कंपनी की सेल्स में आईफोन्स की बड़ी हिस्सेदारी है। मौजूदा वित्त वर्ष में कंपनी की आईफोन्स की सेल्स लगभग 11 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। इसके अलावा Mac, iPad, स्मार्टवॉचेज और सर्विसेज से एपल को चार-छह अरब डॉलर का रेवेन्यू मिल सकता है।