नामी स्मार्टफोन निर्माता कंपनी ऐप्पल ने एक ऐप कंपनी के उन दावों को सही माना है जिसमें उसके द्वारा पुराने आईफोन की परफॉर्मेंस धीमी करने की बात कही गई थी। सोमवार को आईफोन के प्रोसेसर की स्पीड आंकने वाले ऐप बनाने वाली कंपनी प्राइमेट लैब्स ने एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में दिए गए डेटा से यही बात सामने आई कि ऐप्पल के iPhone 6s और iPhone 7 मॉडल की परफॉर्मेंस पुराने होने के सीधी धीमी हो रही थी।
ऐप्पल ने बुधवार को यह बात मानी कि वह पावर की मांग को कम करने के लिए ऐसे कदम उठाती है। इसका असर प्रोसेसर की स्पीड पर पड़ता है और वह धीमा हो जाता है। ऐसा तब होता है जब प्रोसेसर फोन की बैटरी से ज़्यादा पावर की मांग करता है।
ऐप्पल ने बयान जारी करके कहा कि यह समस्या सभी लिथियम इयॉन बैटरी के साथ है और सिर्फ ऐप्पल के प्रोडक्ट तक सीमित नहीं है। क्योंकि बैटरी पुरानी होने के साथ 100 फीसदी पावर सप्लाई नहीं कर पाती है। इसके अलावा बैटरी ठंडी होने या पूरी तरह से चार्ज नहीं होने पर भी सर्वोच्च पावर नहीं दे सकती है।
ऐप्पल ने कहा, "पिछले साल हमने आईफोन 6, आईफोन 6एस और आईफोन एसई के लिए फीचर जारी किया ताकि प्रोसेसर की ज़्यादा पावर की मांग को नियंत्रित किया जा सके। ऐसा करने से फोन के अचानक बंद हो जाने का खतरा टल जाता है।" आगे कहा गया है कि इस फीचर को अब आईओएस 11.2 के साथ आईफोन 7 का हिस्सा बना दिया गया है। कंपनी भविष्य में अपने और भी प्रोडक्ट में इस फीचर को लाएगी।
जब भी आईफोन का प्रोसेसर कमज़ोर होती बैटरी से ज़्यादा पावर की मांग करता है। बैटरी की ओर से पावर संतुलित ढंग में नहीं पहुंच पाता है। इससे फोन के इलेक्ट्रॉनिक्स के खराब होने का खतरा बढ़ जाता है। नतीजतन आईफोन महंगे प्रोसेसर को खराब होने से बचाने के लिए अपने आप शट डाउन हो जाता है।
बताया गया है कि आईफोन के अचानक ही बंद हो जाने की शिकायतें 2016 के आखिर में बहुत ज़्यादा बढ़ गई थीं। इसके बाद ही ऐप्पल ने सॉफ्टवेयर फिक्स जारी करने का फैसला किया जिससे फोन की परफॉर्मेंस थोड़ी धीमी हो जाती है।
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