भारत में हवाई जहाज की स्‍पीड से होगा सफर! देश के पहले हाइपरलूप सिस्‍टम पर काम शुरू

हाइपरलूप एक ऐसी तकनीक पर काम करता है, जिसमें कम दबाव वाली ट्यूबों में मैगनेटिक उत्तोलन (levitation) का इस्‍तेमाल करके लोगों को हवाई जहाज की स्‍पीड से ले जाया जा सकता है।

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Press Trust of India, अपडेटेड: 20 मई 2022 19:40 IST
ख़ास बातें
  • 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री ने हाइपरलूप तकनीक में दिलचस्‍पी दिखाई थी
  • अब इस पर काम आगे बढ़ाने की तैयारी है
  • इस तकनीक को IIT मद्रास के साथ डेवलप करने की योजना है

मंत्रालय ने कहा है कि भारत को कार्बन न्यूट्रल बनाने में यह तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

‘स्वदेशी' हाइपरलूप सिस्‍टम के विकास के लिए रेल मंत्रालय, IIT मद्रास के साथ सहयोग करेगा। इसके साथ ही आईआईटी में हाइपरलूप टेक्नोलॉजीज के लिए सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस को सेटअप करने में भी मदद दी जाएगी। अधिकार‍ियों ने यह जानकारी देते हुए बताया है कि साल 2017 में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने हाइपरलूप तकनीक में दिलचस्‍पी दिखाई थी। इसके बाद भारत और एक अमेरिकी कंपनी के बीच कई दौर की बातचीत हुई थी, लेकिन इसमें कुछ खास प्रगति नहीं हो पाई। अब इस तकनीक को IIT मद्रास के साथ डेवलप करने की योजना है। 
 

क्‍या है हाइपरलूप सिस्‍टम

हाइपरलूप एक ऐसी तकनीक पर काम करता है, जिसमें कम दबाव वाली ट्यूबों में मैगनेटिक उत्तोलन (levitation) का इस्‍तेमाल करके लोगों को हवाई जहाज की स्‍पीड से ले जाया जा सकेगा। एक बयान में मंत्रालय ने कहा है कि भारत को कार्बन न्यूट्रल बनाने में यह तकनीक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इस उभरते कॉन्‍सेप्‍ट के डेवलपमेंट पर सहयोग के लिए रेल मंत्रालय पार्टनर्स और डोमेन एक्‍सपर्ट की तलाश कर रहा था।
 

‘अविष्कार हाइपरलूप' टीम को जानिए 

रेल मंत्रालय को जानकारी थी कि साल 2017 में आईआईटी मद्रास की ‘अविष्कार हाइपरलूप' नाम की 70 छात्रों की एक टीम इस पर काम कर रही है। रेलवे ने कहा है कि वह एक स्वदेशी हाइपरलूप सिस्‍टम के विकास के लिए आईआईटी मद्रास के साथ सहयोग करेगी और वहां हाइपरलूप टेक्नोलॉजीज के लिए सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस की स्‍थापना की जाएगी। 
आईआईटी के छात्रों के इस ग्रुप ने साल 2019 में स्पेसएक्स की हाइपरलूप पॉड प्रतियोगिता में टॉप-10 में जगह बनाई थी। ऐसा करने वाली वह इकलौती एशियाई टीम थी। ‘अविष्कार हाइपरलूप' टीम ने यूरोपीय हाइपरलूप वीक- 2021 में 'मोस्ट स्केलेबल डिजाइन अवार्ड' भी जीता था।
 

8.34 करोड़ है प्रोजेक्‍ट की लागत 

IIT मद्रास ने इस साल मार्च में कॉन्‍टैक्‍टलैस पॉड प्रोटोटाइप के डेवलपमेंट पर मिलकर काम करने के लिए रेल मंत्रालय से संपर्क किया। आईआईटी कैंपस में हाइपरलूप टेस्‍ट फैसिलिटी दुनिया की सबसे बड़ी हाइपरलूप वैक्यूम ट्यूब की पेशकश करेगी। इसे भारतीय रेलवे द्वारा हाइपरलूप पर आगे की रिसर्च के लिए टेस्ट बेड के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस प्रोजेक्‍ट की अनुमानित लागत 8.34 करोड़ रुपये है। इंस्टिट्यूट ने IIT मद्रास में मौजूदा CRR (सेंटर ऑफ रेलवे रिसर्च) के जरिए वहां हाइपरलूप टेक्नोलॉजीज के लिए सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस सेटअप करने का भी प्रस्ताव रखा है।

हाइपरलूप कॉन्‍सेप्‍ट को एलन मस्क और स्पेसएक्स ने प्रमोट किया है और दूसरी कंपनियों को इस तकनीक को डेवलप करने के लिए प्रोत्‍साहित किया है। वर्जिन हाइपरलूप नाम की कंपनी ने नवंबर 2020 में लास वेगास में इसका पहला ह्यूमन ट्रायल किया था। इसमें उसे 172 किमी / घंटा की टॉप स्‍पीड हासिल हुई थी। 
 
 

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