वाई-फाई की दुनिया में नई टेक्नोलॉजी वाई-फाई हैलो (Wi-Fi HaLow) से वाई-फाई के मायने बदल जाएंगे। ऐसा हम नहीं, एक लेटेस्ट रिपोर्ट का कहना है। आज के समय में भारत में आपको कम कीमत में हाई-स्पीड वाई-फाई सर्विस तो मिल रही है, लेकिन रेंज को लेकर अभी भी कई लोग परेशान रहते हैं। Wi-Fi HaLow इस समस्या से निजाद पाने का एक तरीका होगा। यह टेक्नोलॉजी वाई-फाई की रेंज को कुछ मीटर से बढ़ा कर एक किलोमीटर तक करने में सक्षम होगी। आइए इस टेक्नोलॉजी के बारे में जानते हैं।
Business Insider की
रिपोर्ट कहती है कि Wi-Fi Alliance द्वारा विकसित की जा रही Wi-Fi HaLow टेक्नोलॉजी (Wi-Fi Alliance) लोगों की कम रेंज की समस्या को खत्म कर सकती है। जिन्हें नहीं पता, उन्हें बता दें कि Wi-Fi Alliance वाई-फाई टेक्नोलॉजी पर काम करने वाली कंपनियों का एक ग्रुप है। यह ग्रुप पिछले कई वर्षों से HaLow टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। इस टेक्नोलॉजी से वाई-फाई रेंज को कुछ मीटर से बढ़ा कर लगभग एक किलोमीटर किया जा सकता है।
वाई-फाई HaLow तकनीक को को इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) पर फोकस करते हुए तैयार किया जा रहा है। इसका उपयोग औद्योगिक, स्मार्ट बिल्डिंग व स्मार्ट सिटी के कार्यों को बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है। वाई-फाई अलायंस का
कहना है कि वाई-फाई हैलो बेहतर और लॉन्ग रेंज वायरलेस कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। इसकी रेंज लगभग एक किलोमीटर होगी और यह चुनौतीपूर्ण वातावरण जैसे कि मोटी दीवारों के आर-पार या अन्य बाधाओं को बेहद आसानी से भेदने की क्षमता रखता है। बता दें कि वर्तमान में आने वाले कई महंगे राउटर भी मोटी कंक्रीट की दिवारों के पार स्टेबल कनेक्शन देने में अक्षम रहते हैं।
जहां एक ओर मौजूदा टेक्नोलॉजी बैंडविड्थ के मामले में 2.4Ghz से 5Ghz स्पेक्ट्रम पर काम करती है। वहीं, दूसरी ओर वाई-फाई HaLow टेक्नोलॉजी को 1Ghz से कम स्पेक्ट्रम पर काम करने के लिए विकसित किया जा रहा है। यह तकनीक लो फ्रिक्वेंसी (Low Frequency) में भी लंबी दूरी पर डेटा ट्रांसमिट करने की क्षमता रखेगी।
फिलहाल वाई-फाई HaLow टेक्नोलॉजी के सार्वजनिक होने को लकर Wi-Fi Alliance की ओर से कोई स्पष्ट टाइमलाइन सामने नहीं आई है। पिछले कई वर्षों से इसका इंतज़ार हो रहा है। हालांकि वाई-फाई अलायंस ने इस साल की शुरुआत में कहा था कि इस टेक्नोलॉजी को लेकर 2021 की चौथी तिमाही में डिवाइस सर्टिफिकेशन शुरू किए जाने की उम्मीद है, जिससे उम्मीद की जा सकती है कि हमें यह टेक्नोलॉजी अगले साल कमर्शियल या पब्लिक लेवल पर इस्तेमाल होती नज़र आ जाए।