उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरुवार को Twitter India के प्रबंध निदेशक मनीष महेश्वरी को कानूनी नोटिस भेजा। यह नोटिस लोनी में एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमले के वायरल वीडियो के संबंध में भेजा गया है। माइक्रोब्लॉगिंग साइट द्वारा असामाजिक संदेशों को वायरल होने देने के संबंध में एमडी को अपना बयान दर्ज करने के लिए कहा गया है।
कानूनी नोटिस के मुताबिक प्रबंध निदेशक को लोनी बॉर्डर के थाने में आकर सात दिन के भीतर मामले में बयान दर्ज कराने को कहा गया है। कुछ लोगों ने अपने Twitter हैंडल को समाज में नफरत फैलाने के लिए एक टूल के रूप में इस्तेमाल किया और ट्विटर कम्युनिकेशन इंडिया और Twitter ने इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। नोटिस में कहा गया कि उन्होंने असामाजिक संदेशों को वायरल होने दिया।
यह मामला तब सामने आया है जब Twitter ने भारत में एक मध्यस्थ मंच के रूप में अपना दर्जा खो दिया है क्योंकि यह नए IT नियमों का पालन नहीं करता है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यधारा के बीच Twitter एकमात्र सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म है जिसने नए कानूनों का पालन नहीं किया है।
अब विभिन्न यूजर्स से सामग्री की मेजबानी करने वाला एक मंच माना जाने के बजाय, Twitter को सीधे अपने मंच पर प्रकाशित पोस्ट के लिए संपादकीय रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
सूत्रों ने कहा, इसका निहितार्थ यह है कि यदि कथित गैरकानूनी कॉन्टेंट के लिए Twitter के खिलाफ कोई आरोप है तो इसे एक प्रकाशक के रूप में माना जाएगा - मध्यस्थ नहीं - और आईटी एक्ट सहित यह किसी भी कानून के तहत दंड व देश के दंड कानून के लिए भी उत्तरदायी होगा।
इससे पहले दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की एक सीनियर लेवल की टीम ने 31 मई को ''कांग्रेस टूलकिट मामले'' में बेंगलुरू में ट्विटर इंडिया के प्रबंध निदेशक मनीष महेश्वरी से पूछताछ की थी।
पुलिस ने 24 मई को लाडो सराय, दिल्ली और गुड़गांव में ट्विटर इंडिया कार्यालयों का भी दौरा किया था। जिसमें केंद्र सरकार के खिलाफ कथित कांग्रेस "टूलकिट" पर कुछ पोस्ट को "हेर-फेर वाली मीडिया" के रूप में टैग किया गया था।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने पुष्टि की थी कि लोनी की घटना में कोई सांप्रदायिक कोण नहीं है। 72 वर्षीय व्यक्ति के साथ मारपीट के पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने यह भी कहा कि गलत तथ्य प्रदान करने के लिए शिकायतकर्ता के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
UP पुलिस ने मंगलवार को लोनी की घटना के संबंध में Twitter India सहित 9 संस्थाओं के खिलाफ FIR दर्ज की।
FIR में पुलिस ने कहा था, "लोनी में हुई घटना का कोई सांप्रदायिक कोण नहीं है जहां एक व्यक्ति की पिटाई की गई और उसकी दाढ़ी काट दी गई। निम्नलिखित संस्था/व्यक्ति - The Wire, राणा अय्यूब, मोहम्मद जुबैर, डॉ शमा मोहम्मद, सबा नकवी, मस्कूर उस्मानी, सलमान निजामी ने बिना तथ्य की जांच किए Twitter पर घटना को सांप्रदायिक रंग देना शुरू कर दिया। अचानक उन्होंने शांति भंग करने और धार्मिक समुदायों के बीच मतभेद लाने के लिए संदेश फैलाना शुरू कर दिया।"