भारत में ट्रक ड्राइवर्स के आरामदायक सफर के लिए 2025 से सभी ट्रक केबिनों को अनिवार्य रूप से वातानुकूलित करना होगा। सरकार ने आदेश जारी करते हुए ट्रक निर्माता कंपनियों को ट्रक के सभी ट्रिम्स में AC (एयर कंडीशनर) देने का आदेश दिया है। देश में ट्रक ड्राइवर्स डिलावरी के लिए रोजाना सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करते हैं और इस बीच वे कई बार अपने ट्रक के केबिन में ही सोते भी हैं। ऐसे में उनके इस महनत से भरे सफर को आरामदायक बनाने के लिए यह फैसला लिया गया है।
सोमवार को, केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने देश में 2025 तक सभी ट्रक के केबिन को वातानुकूलित बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। यूं तो वॉल्वो (Volvo), स्कैनिया (Scania) और टाटा (Tata) सहित कुछ ट्रक निर्माता अपने प्रीमियम ट्रक मॉडल्स में पहले से ही वातानुकूलित केबिन देते आ रहे हैं, लेकिन आमतौर पर बिकने वाले ज्यादातर ट्रक आज भी इस सुविधा से वंचित हैं।
TOI के
अनुसार, गडकरी ने घोषणा करते हुए कहा, “हमारे देश में, कुछ ड्राइवर 12 या 14 घंटे के लिए सड़क पर होते हैं, जबकि अन्य देशों में, बस और ट्रक ड्राइवरों के ड्यूटी पर रहने के घंटों की संख्या पर प्रतिबंध है। हमारे ड्राइवर 43 से 47 डिग्री के तापमान में वाहन चलाते हैं और हमें ड्राइवरों की स्थिति की कल्पना करनी चाहिए। मैं मंत्री बनने के बाद एसी केबिन पेश करने का इच्छुक था। लेकिन कुछ लोगों ने यह कहते हुए इसका विरोध किया कि लागत बढ़ जाएगी। आज (सोमवार) मैंने फाइल पर हस्ताक्षर किए हैं कि सभी ट्रक केबिन एसी केबिन होंगे।'
इस प्रस्ताव को पहली बार 2021 में रखा गया था। उस समय, उद्योग ने मांग की थी कि प्रावधान वैकल्पिक होना चाहिए। उनमें से कुछ ने यह भी दावा किया था कि चालकों को एसी केबिन में नींद आ सकती है।
कुछ वर्षों पहले तक AC बसों में भी ड्राइवर्स के लिए नॉन AC केबिन होता था, लेकिन Volvo की बसों के आने के बाद, यह सिस्टम खत्म हो गया और आज Volvo और Scania दोनों ही निर्माता की AC बसों में ड्राइवर्स के लिए AC की सुविधा होती है।
रिपोर्ट बताती है कि एक अनुमान के मुताबिक, ट्रकों में एसी केबिन उपलब्ध कराने पर प्रति ट्रक 10,000 रुपये से लेकर 20,000 रुपये तक का अतिरिक्त खर्च आएगा।