जर्मनी के एक मंत्री ने मैसेजिंग ऐप Telegram के कट्टरपंथी सामग्री को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए इस पर बैन लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर Telegram कट्टरपंथी सामग्री की निगरानी में मदद करने के निवेदनों को अनदेखा करना जारी रखती है तो जर्मनी को Apple और Google के ऐप स्टोर्स से इसे हटाने का ऑर्डर देना चाहिए। जर्मनी में लोगों की ओर से वैक्सीनेशन के विरोध के लिए Telegram पर बढ़ावा देने के आरोप भी लग रहे हैं।
हालांकि,
टेलीग्राम का कहना है कि वह "सरकार की सेंसरशिप" के आगे नहीं झुकती। जर्मनी में एक्टिविस्ट्स के साथ ही प्रदर्शनकारियों के बीच भी टेलीग्राम काफी लोकप्रिय है। इसका एक बड़ा कारण
फेसबुक जैसे अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का झूठ, डर या षडयंत्रों से जुड़ी सामग्री की निगरानी करने में सरकार की मदद करना है।
इस बारे में टेलीग्राम की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने पिछले महीने Saxony प्रांत के रीजनल इंटीरियर मिनिस्टर, Boris Pistorius के घर के बाहर मशालें लेकर प्रदर्शन किया था। Boris ने Der Spiegel से कहा, "टेलीग्राम ग्रुप्स और चैनल्स पर जो हो रहा है, वह
Apple और
Google के कम्लायंस रूल्स के खिलाफ हैं, जिनके ऐप स्टोर्स पर यह ऐप उपलब्ध है।" उनका कहना था कि इस बारे में इन कंपनियों से बात कर उन्हें टेलीग्राम को डिस्ट्रीब्यूट करने से रोकने के लिए मनाना चाहिए।
जर्मनी में सोशल मीडिया नेटवर्क्स के लिए कम्प्लायंस से जुड़े सख्त रूल्स हैं। इनके तहत सोशल मीडिया नेटवर्क्स को कट्टरपंथी सामग्री की तुरंत रिपोर्ट देनी होती है। हालांकि, टेलीग्राम ने जर्मनी की जस्टिस मिनिस्ट्री के ऐसी सामग्री को पोस्ट करने वालों की पहचान करने में मदद करने के निवेदनों का जवाब नहीं दिया है। जर्मनी के अलावा रूस और बेलारूस में भी विपक्षी दलों के बीच टेलीग्राम काफी लोकप्रिय है।
हाल ही में Facebook के कुछ घंटे के लिए बंद होने का टेलीग्राम को काफी फायदा हुआ था और उसने 7 करोड़ से अधिक नए यूजर्स जोड़े थे। टेलीग्राम के फाउंडर पावेल ड्यूरोव ने यह जानकारी दी थी। फेसबुक बंद होने के दौरान दुनिया भर में लोगों को 6 घंटे तक फेसबुक या उससे जुड़े किसी भी मैसेजिंग ऐप से मैसेजिंग सर्विस नहीं मिल पाई थी। फेसबुक ने इसका का कारण कन्फिग्रेशन चेंज के दौरान हुई गड़बड़ी बताया था।