रविवार को The Wire और अन्य पब्लिकेशन की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं और पत्रकारों के फोन नंबर हैकिंग के लक्ष्य के डेटाबेस पर पाए गए हैं, जिसमें इजरायली स्पाइवेयर 'पेगासस' (Pegasus) का इस्तेमाल किया गया था - जो केवल सरकारों के लिए उपलब्ध है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लीगल कम्युनिटी के मेंबर, बिज़नेसमैन, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, एक्टिविस्ट और अन्य भी 300 से अधिक वैरीफाइड भारतीय मोबाइल टेलीफोन नंबरों की इस सूची में हैं।
The Wire के अनुसार डेटाबेस में लोगों की संख्या में 40 से अधिक पत्रकार, तीन प्रमुख विपक्षी हस्तियां, एक संवैधानिक अथॉरिटी, नरेंद्र मोदी सरकार में दो सेवारत मंत्री, सुरक्षा संगठनों के वर्तमान और पूर्व प्रमुख और अधिकारी और कई बिज़नेसमैन शामिल हैं। पब्लिकेशन ने कहा कि वह आने वाले दिनों में इन व्यक्तियों के नाम भी प्रकाशित करेगा। वेबसाइट ने कहा कि जो फोन नम्बर इस सूची में हैं उनमें से एक तो सुप्रीम कोर्ट के एक मौजूदा न्यायाधीश के नाम पर रजिस्टर्ड था। इस बात की पुष्टि करना अभी बाकी है कि क्या वह जज अभी भी इस नम्बर का उपयोग कर रहे थे या नहीं।
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डेटा विश्लेषण से पता चलता है कि 2019 के लोकसभा आम चुनावों के लिए 2018 और 2019 के बीच अधिकांश नामों को टारगेट किया गया था, मगर उस वक्त इस बात के पुख्ता सबूत नहीं दिए जा सकते थे कि सभी नम्बर्स को हैक किया गया है। Pegasus को बेचने वाली इजरायली कंपनी, NSO ग्रुप ने आरोपों से इनकार किया। उन्होंने दावा किया कि यह केवल "जांच की गई सरकारों" को अपना स्पाइवेयर प्रदान करती है और कहा कि वह "मानहानि के मुकदमे पर विचार कर रही है"।
हालांकि, भारत सरकार ने हैकिंग में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा, "विशिष्ट लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार या इससे जुड़ी सच्चाई नहीं है।" The Wire की रिपोर्ट के अनुसार, सूचना के अधिकार (RTI) के एक पुराने जवाब की ओर इशारा करते हुए, इसने कहा, "सरकारी एजेंसियों द्वारा कोई अनधिकृत अवरोधन नहीं किया गया है" मगर पेगासस स्पाइवेयर की खरीद या उपयोग से स्पष्ट रूप से इनकार नहीं किया।
The Wire के अनुसार, टारगेट नम्बर्स से जुड़े कुछ फोनों पर किए गए फोरेंसिक परीक्षणों से पेगासस स्पाइवेयर द्वारा टारगेट करने के स्पष्ट संकेत मिले। जासूसी कांड की रिपोर्ट पेरिस स्थित मीडिया नॉन प्रोफिट फॉरबिडन स्टोरीज़ (Forbidden Stories) और एमनेस्टी इंटरनेशनल (Amnesty International) द्वारा एक्सेस किए गए एक लीक डेटाबेस पर आधारित है जिसे एक सहयोगात्मक जांच के लिए दुनिया भर के कई प्रकाशनों के साथ साझा किया गया था।
द वायर ने बताया कि सूची में पहचाने गए अधिकांश नंबर भौगोलिक रूप से 10 देश समूहों में केंद्रित थे: भारत, अजरबैजान, बहरीन, हंगरी, कजाकिस्तान, मैक्सिको, मोरक्को, रवांडा, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात।