टेस्ला (Tesla) कारों को दुनिया में सबसे अडवांस और सेफ माना जाता है। लेकिन एक सिक्योरिटी रिसर्चर की ओर से किए गए दावों ने इस पर सवालिया निशान लगा दिए हैं। 19 साल के सिक्योरिटी रिसर्चर ने दावा किया है कि उसने 13 देशों में 25 से अधिक टेस्ला कारों को रिमोटली हैक कर किया है। इस सिक्योरिटी रिसर्चर ने ट्वीट्स की एक सीरीज में बताया है कि एक सॉफ्टवेयर दोष की वजह से उसे EV कंपनी के सिस्टम तक पहुंचने की इजाजत मिल गई।
ब्लूमबर्ग की एक
रिपोर्ट के मुताबिक, डेविड कोलंबो खुद को इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी स्पेशलिस्ट बताते हैं। मंगलवार को उन्होंने ट्वीट किया कि सॉफ्टवेयर दोष उन्हें कार के डोर और विंडो को अनलॉक करने की इजाजत देता है, साथ ही बिना चाबी के कारों को स्टार्ट करने और कार के सिक्योरिटी सिस्टम्स को डिसेबल करने देता है।
कोलंबो ने दावा किया कि वह कार में ड्राइवर मौजूद है या नहीं, यह भी देख सकते हैं।
कोलंबो ने सॉफ्टवेयर वल्नरबिलिटी की डिटेल्स का खुलासा नहीं किया है, लेकिन कहा है कि यह गड़बड़ी टेस्ला के सॉफ्टवेयर या बुनियादी ढांचे के भीतर नहीं थी। यह भी बताया है कि पूरी दुनिया में केवल कुछ ही टेस्ला मालिक इससे प्रभावित हुए। कोलंबो के ट्विटर थ्रेड को 800 से अधिक रीट्वीट और 6,000 से ज्यादा लाइक्स मिले हैं।
ब्लूमबर्ग न्यूज के सवालों के जवाब में कोलंबो ने कहा कि यह मुख्य रूप से ओनर्स (और थर्ड पार्टी) की गलती है। कोलंबो ने कहा कि वह विस्तार से इसके बारे में अपने ब्लॉग में बताएंगे।
वहीं, चीन में टेस्ला के एक प्रतिनिधि ने इस मामले में कमेंट करने से इनकार कर दिया, जबकि कंपनी की ग्लोबल प्रेस टीम ने कमेंट मांगने वाले ई-मेल का जवाब नहीं दिया।
वन ऑनलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, टेस्ला के पास वल्नरबिलिटी के बारे में बताने के लिए एक मंच मौजूद है। यहां सिक्योरिटी रिसर्चर अपने व्हीकल्स को रजिस्टर कर सकते हैं। वल्नरबिलिटी का पता लगाने के लिए कंपनी 15,000 डॉलर तक का भुगतान करती है। इस बीच कोलंबो ने एक ट्वीट में बताया है कि वह टेस्ला की सिक्योरिटी टीम के संपर्क में हैं। वे इस मामले की जांच कर रहे हैं। फिलहाल इस मामले में टेस्ला की ओर से कोई भी जानकारी शेयर नहीं की गई है।