Google का ख़ास डूडल आज 'चिपको आंदोलन' की याद दिला रहा है। दरअसल सोमवार को 'चिपको आंदोलन' की 45वीं वर्षगांठ है, जिसे Google डूडल ने त्याग के उस आंदोलन को तस्वीर के माध्यम से दर्शाया है। चिपको आंदलोन एक शांत और प्रभावी आंदोलन था, जिसका उद्देश्य वन सुरक्षा था। आंदोलन की शुरुआत साल 1970 में में हुई थी, जिसमें लोगों ने ठान लिया था कि वे पेड़ों को नहीं कटने देंगे। आंदलोन में हिस्सा लेने वाले लोगों ने पेड़ को अपने हाथों से जकड़ लिया था। Google के डूडल में दर्शाया गया चिपको आंदोलन एक गांधीवादी आंदोलन था, जिसकी शुरुआत एक के बाद एक काटे जा रहे जंगलों को संरक्षित करने के लिए हुई थी।
आंदलोन की नींव राजस्थान से पड़ी। बिश्नोई समुदाय के लोगों ने पेड़ों को बांहों में लेना शुरू किया। दरअसल पेड़ों को कटवाने का आदेश जोधपुर के महाराजा ने दिया था। बाद में सभी बिश्नोई गांवों में पेड़ों को संरक्षित करने की इस मुहिम ने ज़ोर पकड़ लिया। आधुनिक भारत में चिपको आंदोलन की शुरुआत उत्तर प्रदेश के मंडल गांव से हुई। यह साल 1973 का समय था। बाद में इस आंदोलन की हुंकार हिमालय से लगे क्षेत्रों में बढ़ी। सरकार ने खेल के सामान बनाने वाली कंपनियों को जंगल की ज़मीन देना शुरू किया, जिसका पुरज़ोर विरोध हुआ। इस कदम ने गांव के लोगों को गुस्से से भर दिया और सभी पेड़ों की कटाई को रोकने निकल पड़े। शुरुआत में चिपको आंदोलन का नेतृत्व महिलाओं ने किया लेकिन बाद में चांद चंदी प्रसाद भट्ट और उनके एनजीओ दशोली ग्राम स्वराज्य संघ ने मोर्चा संभाला।
Google डूडल के आज के विषय पर विस्तार से बात की जाए तो उत्तर प्रदेश में चिपको आंदोलन की सफलता के बाद यह देश के अन्य हिस्सो में भी फैला। चिपको आंदोलन के प्रमुख चेहरों की बात करें तो धूम सिंह नेगी, बचनी देवी, गौरा देवी और सुदेशा देवी जैसा नाम हैं। गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित सुंदरलाल बहुगुणा ने भी इस आंदोलन को दिशा और दशा देने का काम किया। उनकी पहल से तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वृक्ष-कटाई पर रोक लगाई।
Google ने इस मौके पर बताया, ''चिपको आंदोलन एक ईको-फेमिनिस्ट मूवमेंट था। महिलाओं ने इस आंदोलन को नई दिशा दी। उस दौरान भारी मात्रा में पेड़ों के कटने से क्षेत्रों में पीने के पानी जैसी बड़ी समस्याएं खड़ी हो सकती थीं।''Google ने डूडल में स्वभु कोहली और विप्लव सिंह द्वारा तैयार किए गए चित्र को प्रदर्शित किया है। Google डूडल ने उस दौर की यादों को ज़िंदा कर दिया है, जब महिलाओं समेत सभी आंदोलनकारियों ने पेड़ों को कटने से बचाने के लिए बांहों में भर लिया था और सरकार को अपने फैसले के लिए झुकना पड़ा था। अगर आप भी इस आंदोलन से जुड़े किसी सदस्य को जानते हैं तो जिस तरह Google ने उन्हें याद किया, उसी तरह आप भी उनसे मिलकर उन्हें एक 'जादू की झप्पी' ज़रूर दें।
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