अमेरिका के शीर्ष न्याय अधिकारियों के एक ग्रुप ने Google पर यूजर्स के लोकेशन डेटा पर नजर रखने और प्रॉफिट कमाने का आरोप लगाया है। तर्क दिया गया है कि Google डिटेल प्रोफाइल बनाती है और अपने अरबों यूजर्स से जुटाए गए डेटा के साथ ज्यादा टारगेटेड विज्ञापन बेचती है। यूजर की लोकेशन इसमें एक अहम हिस्सा होती है। एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, वॉशिंगटन में अटॉर्नी जनरल कार्ल रैसीन ने कहा कि Google ने कंस्यूमर्स को यह झूठा भरोसा दिलाया है कि उनके अकाउंट और डिवाइस की सेटिंग बदलने से कस्टमर अपनी प्राइवेसी को प्रोटेक्ट कर सकेंगे। इस मामले में तीन अमेरिकी राज्यों के अटॉर्नी जनरल ने Google के खिलाफ केस दायर किया गया है।
Google ने कहा है कि अधिकारियों के दावे गलत थे और उसकी सेटिंग से जुड़े पुराने दावों पर आधारित थे। एक बयान में Google ने कहा कि हमने हमेशा अपने प्रोडक्ट्स में प्राइवेसी फीचर्स जोड़े हैं। लोकेशन डेटा के लिए मजबूत कंट्रोल दिया है। हम सख्ती से अपना बचाव करेंगे।
अटॉर्नी जनरल रैसीन ने तर्क दिया कि 2014 से 2019 तक Google ने दावा किया कि यूजर्स अपनी "लोकेशन हिस्ट्री" सेटिंग को बंद कर सकते हैं और ‘यूजर जिन जगहों पर जाते हैं, उन्हें स्टोर नहीं किया जाता है।' रैसीन ने कहा कि यह गलत है। उन्होंने आरोप लगाया है कि लोकेशन हिस्ट्री बंद होने पर भी Google अपने यूजर्स की लोकेशन कलेक्ट और स्टोर करती है।
अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि टेक दिग्गज कंपनी गूगल ने ‘डार्क पैटर्न' या डिजाइन ट्रिक्स का इस्तेमाल किया है। इसका मकसद यूजर्स की पसंद को प्रभावित करना है, ताकि कंपनी को फायदा पहुंच सके।
रैसीन के ऑफिस ने उदाहरण देते हुए बताया कि कुछ ऐप्स में लोकेशन देने के लिए यूजर्स को बार-बार प्रेरित किया गया। दावा किया गया कि इससे प्रोडक्ट ठीक से काम करेगा, जबकि हकीकत में उस ऐप के लिए लोकेशन देने की जरूरत नहीं थी।
इंडियाना की अटॉर्नी जनरल टॉड रोकिता ने एक बयान में कहा कि लिमिटेड मात्रा में लोकेशन डेटा से भी किसी शख्स की पहचान और रूटीन का पता चल सकता है। उन्होंने कहा कि इस जानकारी का इस्तेमाल यूजर के राजनीतिक या धार्मिक विश्वासों के बारे में जानने, इनकम, हेल्थ और अन्य सेंसटिव पर्सनल डिटेल्स का अनुमान लगाने के लिए किया जा सकता है।