इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) अब समय की मांग हैं। दुनियाभर में इलेक्ट्रिक व्हीकलों की मांग रफ्तार पकड़ रही है। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर से लेकर इलेक्ट्रिक कारों और बसों तक में इलेक्ट्रिक एनर्जी इस्तेमाल की जाने लगी है। एक तरफ पेट्रोल जैसे सीमित संसाधनों के बढ़ते दाम और दूसरी तरफ वातावरण में बढ़ता प्रदूषण, ये दोनों कारक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को इलेक्ट्रिक एनर्जी पर शिफ्ट करने के लिए बाध्य कर रहे हैं। ऐसे में रेसिंग स्पोर्ट्स कहां पीछे रहने वाला था। अब मोटर स्पोर्ट्स में भी इलेक्ट्रिक रेसिंग कार की एंट्री हो चुकी है। फेडरेशन इंटरनेशनले डी ऑटोमोबाइल या Fédération Internationale de l'Automobile या FIA ने थर्ड जेनरेशन Formula E कार पेश की है। यह कार FIA और Formula E ने मिलकर लॉन्च की है।
Formula E all-electric Gen3 ऱेस कार को Monaco में रिवील किया गया। यह दुनिया की पहली ऐसी कार है जिसे खासतौर पर स्ट्रीट रेसिंग के लिए डिजाइन और ऑप्टिमाइज किया गया है। कार अपना डेब्यू ABB FIA Formula E वर्ल्ड चैम्पियनशिप के 9वें सीजन में करेगी। FIA और Formula E के इंजीनियर्स ने मिलकर इसे हाई परफॉर्मेंस देने वाली एफिशिएंट और टिकाऊ कार बनाया है। मोटर स्पोर्ट्स में इलेक्ट्रिक रेसिंग कार के लॉन्च ने इस खेल में रेसिंग व्हीकल्स के लिए एक नया कंपीटिशन खड़ा कर दिया है। कार में सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से परफॉर्मेंस अपग्रेड भी किया जा सकेगा। इसके लिए इसमें एडवांस्ड ऑपरेटिंग सिस्टम दिया गया है।
Formula E Gen3 322kph की टॉप स्पीड दे सकती है। इसके खास फीचर्स में इसका एनर्जी यूसेज मेकेनिज्म है। यह लगभग 40 प्रतिशत एनर्जी रेस के दौरान रिजेनरेटिव ब्रेकिंग से पैदा की जाने वाली एनर्जी से इस्तेमाल करती है। कार में 350kW पावर (470BHP) की इलेक्ट्रिक मोटर लगी है जो कार के लिए 95 प्रतिशत पावर एफिशिएंसी देती है। जबकि इंटरनल कम्बशन इंजन में यह पावर केवल 40 प्रतिशत मिलती है।
Gen3 all-electric पहली ऐसी फॉर्मुला कार है जिसमें फ्रंट और रियर पावरट्रेन दिए गए हैं। इसके रियर में दिया गया नया पावरट्रेन 250kW से 350kW क्षमता का है। इसके अलावा यह पहली ऐसी फॉर्मुला कार है जिसमें रियर में हाइड्रोलिक ब्रेक्स नहीं दिए गए हैं।
इस कार के साथ पहली बार किसी रेसिंग कार की बॉडी में लिनन और रिसाइकल किए गए कार्बन फाइबर का इस्तेमाल किया गया है। इससे रेसिंग कार में इस्तेमाल होने वाले वर्जिन कार्बन फाइबर की लागत आधी हो जाती है। कुल मिलाकर इससे 10% तक कार्बन फुटप्रिंट्स को कम करने में मदद मिलेगी। कार के टायर 26% तक नेचरल रबर और रिसाइकिल किए गए फाइबर से बने हैं। रेसिंग के बाद इसके टायर्स को पूरी तरह से रिसाइकिल किया जा सकेगा।
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