एलन मस्क (Elon Musk) की टेस्ला (Tesla) पर सैन फ्रांसिस्को स्थित फैक्ट्री में काम करने वाले अश्वेत कर्मचारियों के साथ भेदभाव और उत्पीड़न करने का आरोप है। एक मुकदमे में यह आरोप लगाया गया है। अल्मेडा काउंटी सुपीरियर कोर्ट में दायर मुकदमे में सैकड़ों श्रमिकों की शिकायतों को आधार बनाया गया है। नागरिक अधिकार कानूनों को लागू करने वाले डिपार्टमेंट के प्रमुख केविन किश ने कहा है कि इस बात का सबूत मिला है कि टेस्ला की फ्रेमोंट फैक्ट्री नस्लीय भेदभाव वाली जगह है। वहां अश्वेत कर्मचारियों का अपमान किया जाता है। काम से लेकर सैलरी और प्रमोशन के मामलों में भी उनके साथ भेदभाव होता है।
एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मुकदमे की डिटेल अभी तक रिलीज नहीं की गई है। टेस्ला ने भी तुरंत कोई बयान जारी नहीं किया है। हालांकि मुकदमा दायर किए जाने से पहले एक ब्लॉग पोस्ट में टेस्ला ने मामले को गुमराह करने वाला बताया। कहा कि एजेंसी ने तीन साल की जांच के बाद उसके ऑफिसेज में वर्कप्लेस प्रैक्टिस पर ‘कभी भी कोई चिंता नहीं जताई'।
कहा गया है कि यह केस फैक्ट्री में प्रोडक्शन असोसिएट्स द्वारा लगाए गए आरोपों पर केंद्रित लगता है। यह सब 2015 और 2019 के बीच हुआ था। पोस्ट में यह भी कहा गया है कि वह अदालत से ‘मामले को रोकने और फैक्ट्स को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने के लिए कहेगी। ब्लॉग में कहा गया है कि टेस्ला ने कैलिफोर्निया के लिए इतने अच्छे काम किए हैं। उस पर हमला करना राज्य एजेंसी का प्रमुख मकसद नहीं होना चाहिए।
पिछले साल अक्टूबर में सैन फ्रांसिस्को की एक जूरी ने एक ब्लैक कॉन्ट्रैक्ट वर्कर को लगभग 137 मिलियन डॉलर (लगभग 1030 करोड़ रुपये) अवॉर्ड किए थे। यह एक तरह का मुआवजा है। वर्कर कहा था कि 2015 और 2016 में उन्हें प्लांट में नस्लीय मजाक का सामना करना पड़ा था। ओवेन डियाज ने कहा था कि कर्मचारियों ने उनके खिलाफ नस्लवादी चित्र बनाए और सुपरवाइजर यह रोकने में नाकाम रहे। टेस्ला इस फैसले के खिलाफ अपील कर रही है। उसने इस मामले से इनकार किया है, जिसका दावा डियाज ने किया था। जिस फैक्ट्री में यह सब होने का आरोप है, वहां लगभग 10,000 कर्मचारी हैं।
टेस्ला के ब्लॉग पोस्ट में कहा गया है कि कंपनी उन कर्मचारियों को टर्मिनेट कर देती है, जो ऐसे काम करते हैं। इनमें वो लोग भी शामिल हैं जो नस्लीय गालियां देते हैं या दूसरों को परेशान करते हैं।
हाल के साल में टेस्ला की फ्रेमोंट फैक्ट्री में यौन उत्पीड़न और नस्लीय भेदभाव से जुड़े आरोप कई पूर्व कर्मचारियों ने लगाए हैं। कई लोग अदालतों तक नहीं पहुंचते हैं, क्योंकि कंपनी के फुल-टाइम कर्मचारियों को कर्मचारियों से जुड़े विवादों में मध्यस्थता करनी होती है।