एम्स (AIIMS) जिसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के नाम से जाना जाता है, 6 महीनों में दोबारा साइबर हमले का शिकार हुआ है। दिल्ली एम्स की ओर से एक ट्वीट कर खुद इस बात की जानकारी दी गई है। दिल्ली एम्स के मुताबिक उसने अपनी ई-हॉस्पिटल सर्विसेज पर मैलवेयर अटैक को नाकाम कर दिया है। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से एम्स पर साइबर हमला होने से इनकार किया गया है।
सोमवार को एक ट्वीट में दिल्ली एम्स की ओर से कहा गया कि उसे दोपहर 2 बजकर 50 मिनट पर मैलवेयर हमले का पता चला। कोशिश की सफलतापूर्वक विफल कर दिया गया था। ई-हॉस्पिटल सेवाएं पूरी तरह से सुरक्षित हैं और सामान्य रूप से काम कर रही हैं। बताया जाता है कि दिल्ली एम्स की वेबसाइट ehospital.aiims.edu पर साइबर हमला हुआ था। इस दौरान ‘वायरस फाउंड' नाम से एक मैसेज वेबसाइट पर प्रसारित हो रहा था। हालांकि केंद्र सरकार की ओर से ऐसे किसी हमले से इनकार किया गया है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने एक ट्वीट में कहा कि एम्स में कोई साइबर हमला या ब्रीच नहीं हुआ है। उन्होंने लिखा कि ई-हॉस्पिटल एक इंटरनल ऐप्लिकेशन है। हो सकता है कि किसी ने इस पोर्टल तक पहुंचने की कोशिश की हो और एम्स द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सिक्योरिटी लेयर के कारण अलर्ट दिखाई दिया हो। उसी व्यक्ति ने एरर मैसेज का स्क्रीनशॉट लिया होगा और उसे सर्कुलेट किया होगा। अपने ट्वीट में मंत्री ने यह भी बताया कि कोई साइबर घटना या ब्रीच नहीं हुआ है। एरर मैसेजों को अब ठीक कर लिया गया है।
एम्स पर साइबर हमले की यह पहली घटना नहीं है। पिछले साल नवंबर में एक बड़े साइबर अटैक ने एम्स के पूरे सिस्टम को प्रभावित किया था। उसका असर सेंट्रलाइज्ड रिकॉर्ड्स और बाकी हॉस्पिटल सेवाओं पर देखा गया था। हमलावरों ने यूजर डेटा के एक्सेस को बंद कर दिया था। साइबर हमले की वजह से एम्स का कामकाज कई दिनों तक मैनुअली करना पड़ा था। उस वक्त अंदेशा जताया गया था कि साइबर अटैक चीन से शुरू हुआ था।
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