लोकप्रिय स्ट्रीमिंग सर्विसेज में शामिल Netflix ने बताया है कि उसके लगभग सात करोड़ व्युअर्स प्रत्येक महीने एडवर्टाइजिंग के साथ शोज देखते हैं। इस वर्ष मई की तुलना में यह संख्या लगभग दोगुनी हो गई है। नेटफ्लिक्स के ऐड सपोर्टेड प्लान की जिन देशों में उपलब्धता है, वहां 50 प्रतिशत से अधिक नए सब्सक्राइबर्स इसे चुन रहे हैं।
नेटफ्लिक्स में एडवर्टाइजिंग की प्रेसिडेंट, Amy Reinhard ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया कि यह प्लान 12 देशों में उपलब्ध है। कंपनी की योजना एडवर्टाइजिंग को रेवेन्यू का एक बड़ा सोर्स बनाने की है। इसके राइवल्स की तुलना में एडवर्टाइजिंग बिजनेस की हिस्सेदारी कम है। कई वर्षों तक नेटफ्लिक्स ने एडवर्टाइजिंग वाले टेलीविजन कंटेंट से दूरी रखी थी। कंपनी ने लगभग दो वर्ष पहले कस्टमर्स की संख्या घटने पर एडवर्टाइजिंग को जोड़ा था।
नेटफ्लिक्स ने अपने एडवर्टाइजिंग वाले प्लान का प्राइस कम रखा है। इसका कंपनी को फायदा भी मिल रहा है। Bloomberg की रिपोर्ट केअनुसार, नेटफ्लिक्स के पास मई में एडवर्टाइजिंग वाले प्लान के लिए लगभग चार करोड़ मासिक यूजर्स थे। तीसरी तिमाही के अंत में कंपनी के कुल सब्सक्राइबर्स की संख्या 28 करोड़ से अधिक थी।
Amazon जैसे इसके राइवल्स ने एडवर्टाइजिंग पसंद नहीं करने वाले यूजर्स से अधिक प्राइस देने को कहा है। इस वजह से इनके यूजर्स की बड़ी संख्या एडवर्टाइजिंग वाले प्लान पर शिफ्ट हो गई है। नेटफ्लिक्स ने National Football League जैसे स्पोर्टिंग इवेंट्स के साथ लाइव प्रोग्रामिंग में भी इनवेस्ट किया है। इन इवेंट्स में एडवर्टाइजमेंट्स को इसके सभी यूजर्स के सामने पेश किया जाएगा। इससे मार्केटर्स के लिए भी अतिरिक्त इनवेंटरी बनेगी।
कंपनी ने बताया है कि इसने क्रिसमस के दिन होने वाले दो NFL गेम्स के लिए सभी इनवेंटरी बेच दी है।
भारत में इन प्लेटफॉर्म्स के कंटेंट को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार एक नई ब्रॉडकास्ट पॉलिसी बना रही है। OTT के सेल्फ-रेगुलेटरी गाइडलाइंस का पालन नहीं करने को लेकर चिंता बढ़ी है। इस वजह से सरकार इन्हें रेगुलेटर करने की तैयारी कर रही है। हाल ही में मिनिस्टर ऑफ स्टेट फॉर इनफॉर्मेशन एंड ब्रॉडकास्टिंग L Murugan ने बताया था कि संसद में इस पॉलिसी को पेश करने से पहले इंडस्ट्री के फीडबैक और पब्लिक के इनपुट का मिनिस्ट्री आकलन कर रही है। उन्होंने कहा था कि इन प्लेटफॉर्म्स ने व्युअर ऐज क्लासिफिकेशन और कंटेंट एडवाइजरीज जैसे उपाय शुरू किए हैं। हालांकि, सेल्फ-रेगुलेशन के इन तरीकों पर इस इंडस्ट्री के स्टेकहोल्डर्स और पब्लिक दोनों ने सवाल उठाए हैं।
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