अमेरिकी इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) मेकर टेस्ला के चीफ, Elon Musk ने भारत का अपना विजिट टाल दिया है। इस विजिट में उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ भी मीटिंग होनी थी। भारत में बिजनेस शुरू करने की घोषणा के लिए मस्क का 21 अप्रैल को आने का कार्यक्रम था।
बिलिनेयर मस्क ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में बताया, "टेस्ला में काम का अधिक बोझ होने के कारण भारत का विजिट टालना पड़ रहा है लेकिन मैं मौजूदा वर्ष में इस विजिट का इंतजार कर रहा हूं।"
टेस्ला के अलावा मस्क अपनी सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस उपलब्ध कराने वाली कंपनी Starlink के लिए भी देश में बिजनेस शुरू करने की अनुमति मांग रहे हैं। इस बारे में जानकारी रखने वाले सूत्रों ने Bloomberg को बताया था कि केंद्र सरकार ने स्टारलिंक को इस वर्ष की तीसरी तिमाही तक यह अनुमति मिलने का आश्वासन दिया है।
पिछले वर्ष जून में प्रधानमंत्री मोदी और मस्क की अमेरिका के न्यूयॉर्क में मीटिंग हुई थी। टेस्ला ने देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर इम्पोर्ट टैक्स लगाने के लिए लॉबीइंग की थी। पिछले महीने केंद्र सरकार ने नई EV पॉलिसी की घोषणा की थी जिसमें किसी ऑटोमोबाइल
कंपनी के कम से कम 50 करोड़ डॉलर का इनवेस्टमेंट करने पर कुछ मॉडल्स पर इम्पोर्ट टैक्स को 100 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत किया गया है। हालांकि, देश की ऑटोमोबाइल कंपनियां इस छूट का कड़ा विरोध कर रही थी। हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में एक्सपोर्ट के लिए टेस्ला ने जर्मनी के अपने प्लांट में राइट-हैंड ड्राइव कारों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है। यह पता नहीं चला है कि टेस्ला के किस मॉडल का भारत को एक्सपोर्ट किया जाएगा। जर्मनी में बर्लिन के निकट कंपनी के प्लांट में मॉडल Y की मैन्युफैक्चरिंग की जाती है।
टेस्ला अपनी फैक्टरी के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों पर फोकस करेगी जहां पहले से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की मौजूदगी है। अमेरिका और चीन जैसे कंपनी के बड़े मार्केट्स में डिमांड कम होने के कारण यह नए मार्केट्स में संभावना तलाश रही है। मौजूदा वर्ष की पहली तिमाही में टेस्ला की सेल्स 8.5 प्रतिशत घटी है। यह लगभग चार वर्ष में पहली बार है कि जब वर्ष-दर-वर्ष आधार पर कंपनी की तिमाही सेल्स में कमी हुई है। इससे टेस्ला की ग्रोथ को लेकर आशंका बढ़ गई है।