वर्ल्ड इकॉनमिक फोरम (WEF) दावोस एजेंडा में सोमवार को वर्चुअली शामिल होते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जिस तरह की तकनीक इससे जुड़ी है, उसमें किसी एक देश द्वारा लिए गए फैसले इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे। यह लगातार तीसरा महीना है, जब प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर वैश्विक मंच पर अपना पक्ष रखा है। सबसे पहले नवंबर 2021 में सिडनी डायलॉग में वर्चुअली हिस्सा लेते हुए पीएम ने क्रिप्टोकरेंसी पर बात की थी। इसके बाद दिसंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने क्रिप्टोकरेंसी पर बात की थी।
दावोस के अपने
संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 2022 की शुरुआत में जब हम दावोस में मंथन कर रहे हैं, तब कुछ चुनौतियों के प्रति सचेत करना भारत अपना दायित्व समझता है। वैश्विक परिवार के तौर पर हम जिन चुनौतियों का सामना करते रहे हैं, वह भी बढ़ रही हैं। इनसे मुकाबला करने के लिए हर देश और वैश्विक एजेंसी को मिलकर कार्रवाई करने की जरूरत है। इसके बाद पीएम ने क्रिप्टोकरेंसी का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह की टेक्नॉलजी इससे जुड़ी है, उसमें किसी एक देश द्वारा लिए गए फैसले इसकी चुनौतियों से निपटने में अपर्याप्त होंगे। हमें एक समान सोच रखनी होगी।
उन्होंने सवाल किया कि क्या ‘मल्टीलेट्रल ऑर्गनाइजेशंस' नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा कि जब ये संस्थाएं बनीं थीं, तब स्थितियां कुछ और थीं। आज परिस्थियां कुछ और है। ऐसे में हर लोकतांत्रिक देश का यह कर्तव्य है कि वह इन संस्थाओं में रिफॉर्म्स पर बल दे।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पहले भी सख्त बात कर चुके हैं। नवंबर में सिडनी डायलॉग में पीएम ने बिटकॉइन का उदाहरण देते हुए कहा था कि सभी लोकतांत्रिक देश इस पर एक साथ काम करें। सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न जाए, वरना हमारे युवाओं का नुकसान कर सकती है।
दिसंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित एक वर्चुअल शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने कहा था कि सोशल मीडिया और क्रिप्टोकरेंसी जैसी उभरती टेक्नॉलजीस के लिए हमें संयुक्त रूप से वैश्विक मानदंडों को आकार देना चाहिए। ताकि उनका इस्तेमाल लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए किया जा सके, न कि कमजोर करने के लिए।