बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में न जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया के लोकतंत्रों के बीच सहयोग का आग्रह किया है। पीएम मोदी का यह बयान इसलिए भी अहम है, क्योंकि केंद्र सरकार डिजिटल करेंसी के लिए नए रूल्स बना रही है। सिडनी डायलॉग में वर्चुअली हिस्सा लेते हुए पीएम ने यह बात कही। सिडनी डायलॉग एक ऐसा फोरम है, जो साइबर टेक्नॉलजीस पर केंद्रित है। हालांकि प्रधानमंत्री ने विस्तार से उन आशंकाओं का जिक्र नहीं किया, लेकिन भारत और बाकी देशों की अथॉरिटीज ने आतंकवादी समूहों और संगठित अपराध द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली क्रिप्टोकरेंसी के खतरों और उनके वजह से अर्थव्यवस्थाओं के लिए पैदा होने वाले जोखिमों को लेकर आगाह किया है।
साइबर ऐज टेक्नॉलजीस से बढ़ रहे अवसरों की तारीफ करने के बाद पीएम मोदी ने डिजिटल करेंसीज के बारे में सावधानी बरतने की बात कही। पीएम ने बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी का उदाहरण देते हुए कहा कि सभी लोकतांत्रिक देश इस पर एक साथ काम करें और सुनिश्चित करें कि यह गलत हाथों में न जाए, वरना हमारे युवाओं का नुकसान कर सकती है। भारत में
बिटकॉइन की कीमत 18 नवंबर को खबर लिखे जाने तक 48.8 लाख रुपये पर थी।
इकनॉमिक टाइम्स में छपी
रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय अधिकारी उन नियमों का ड्राफ्ट तैयार कर रहे हैं, जो क्रिप्टोकरेंसी में सभी तरह लेनदेन और पेमेंट पर बैन लगाने का प्रस्ताव कर सकते हैं, जबकि इन्वेस्टर्स को उन्हें गोल्ड, बॉन्ड और स्टॉक जैसे असेट्स के रूप में रखने की इजाजत होगी।
क्रिप्टोकरेंसी पर चर्चा करने के लिए पीएम मोदी ने शनिवार को एक बैठक की अध्यक्षता थी। अखबार ने कहा है कि ड्राफ्ट किए जा रहे नियम दो से तीन सप्ताह में कैबिनेट को रिव्यू करने के लिए मिल सकते हैं। गौरतलब यह भी है कि सितंबर में चीन में रेग्युलेटर्स ने सभी क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन और उनकी माइनिंग पर बैन लगा दिया था। दुनिया की सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन, $60,000 (लगभग 44.5 लाख रुपये) के स्तर पर है और इस साल की शुरुआत से अबतक इसकी वैल्यू दोगुनी से अधिक हो गई है।
ब्लॉकचेन डेटा प्लैटफॉर्म Chainalysis के अनुसार, भारत का डिजिटल करेंसी मार्केट मई 2021 में 6.6 बिलियन डॉलर (लगभग 48,920 करोड़ रुपये) का था, जबकि अप्रैल 2020 में यह 923 मिलियन डॉलर (लगभग 6,840 करोड़ रुपये) था।