अमेरिका के टैरिफ से जुड़े फैसलों और कुछ देशों के बीच तनाव का क्रिप्टो मार्केट पर असर पड़ रहा है। मार्केट वैल्यू के लिहाज से सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Bitcoin के प्राइस में गुरुवार को लगभग 0.60 प्रतिशत की गिरावट थी। हालांकि, पिछले एक दिन में क्रिप्टोकरेंसीज की ट्रेडिंग वॉल्यूम में दो प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई है।
इस रिपोर्ट को पब्लिश किए जाने पर इंटरनेशनल क्रिप्टो एक्सचेंज
Binance पर बिटकॉइन का प्राइस लगभग 87,470 डॉलर पर ट्रेड कर रहा था। दूसरी सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी Ether में लगभग 1.70 प्रतिशत का नुकसान था। Ether का प्राइस लगभग 2,030 डॉलर पर था। गिरावट वाली अन्य क्रिप्टोकरेंसीज में Solana और XRP शामिल थे। क्रिप्टो मार्केट में बिटकॉइन की हिस्सेदारी बढ़कर लगभग 60.72 प्रतिशत की हो गई है। इस सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी ने शुरुआती ट्रेडिंग में 88,200 डॉलर का लेवल पार किया था। हालांकि, इसके बाद इसमें बिकवाली बढ़ने से गिरावट हुई है।
मार्केट एनालिस्ट्स का कहना है कि लगभग दो महीने के कंसॉलिडेशन के बाद
बिटकॉइन में 87,000 डॉलर से अधिक पर रिकवरी हो रही है। इसका मार्केट कैपिटलाइजेशन लगभग 1.73 लाख करोड़ डॉलर का है। पिछले तीन महीनों से Ether में गिरावट है। हालांकि, बड़े इनवेस्टर्स ने Ether की खरीदारी बढ़ाई है। मैक्रो इकोनॉमिक आशंकाओं का भी क्रिप्टो मार्केट पर असर पड़ रहा है। हाल ही में ट्रंप ने व्हाइट हाउस में क्रिप्टो समिट का आयोजन किया था। इसमें सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) की क्रिप्टो टास्क फोर्स को क्रिप्टोकरेंसीज से जुड़े रेगुलेशंस बनाने का निर्देश भी दिया गया था।
इस क्रिप्टो समिट में ट्रंप ने कहा था कि पूर्व की Biden सरकार का बड़ी संख्या में Bitcoin को बेचने का फैसला "बेवकूफी" वाला था। उनका कहना था कि इस सेगमेंट के खिलाफ ब्यूरोक्रेसी की लड़ाई को समाप्त किया जाएगा। ट्रंप ने बताया था, "पिछले कुछ वर्षों में अमेरिकी सरकार ने बेवकूफी वाले तरीके से हजारों बिटकॉइन को बेचा है जिनकी वैल्यू अरबों डॉलर की थी। यह बाइडेन सरकार के दौरान हुआ था।" इससे पहले ट्रंप ने क्रिप्टोकरेंसीज का रिजर्व बनाने की भी घोषणा की थी। हालांकि, इससे क्रिप्टो मार्केट असर नहीं पड़ेगा क्योंकि इस रिजर्व के लिए बिटकॉइन की खरीदारी नहीं की जाएगी। इसमें अमेरिकी सरकार की ओर से जब्त किए गए बिटकॉइन को शामिल किया जाएगा।