एक नई रिपोर्ट में पता चला है कि आपके एंड्रॉयड स्मार्टफोन में लोकेशन सर्विस बंद होने पर भी गूगल लोकेशन डेटा इकट्ठा करती है। क्वार्ट्ज़ ने दावा किया है कि एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर लोकेशन ट्रैकिंग तब भी ऑन रहती है जबकि एक यूज़र ने लोकेशन को डिसेबल करने, किसी ऐप को इस्तेमाल ना करने या डिवाइस पर कोई सिम कार्ड नहीं डालने जैसे बड़े सुरक्षा उपाय अपना रखे हैं।
क्वार्ट्ज़ द्वारा की गई
जांच में दावा किया गया है कि एंड्रॉयड डिवाइस इन जानकारियों को तब भेजता है जबकि डिवाइस इंटरनेट से कनेक्ट होता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूज़र लोकेशन डेटा ट्रैकिंग को इस साल की शुरुआत से इस्तेमाल में लाया जा रहा है। और कंपनी आमतौर पर तब भी आसापास मौज़ूद सेल्युलर टॉवर से एड्रेस लेता है जबकि डिवाइस पर लोकेशन सर्विस बंद हो। क्वार्ट्ज़ ने बताया कि गूगल ने इस तरीके की पुष्टि कर दी है।
क्वार्ट्ज़ के साथ बातचीत में गूगल के एक प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी करीब 11 महीनों से एंड्रॉयड डिवाइस पर पुश नोटिफिकेशन और मैसेज की डिलिवरी सुधार करने के लिए सेल टॉवर एड्रेस इकट्ठा कर रही है। हालांकि, प्रवक्ता ने आगे कहा कि इस दौरान यूज़र लोकेशन डेटा को कभी भी स्टोर नहीं किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि नवंबर के आख़िर गूगल सेल टॉवर लोकेशन के तौर पर यूज़र लोकेशन डेटा ट्रैक करना बंद कर देगी। कंपनी ने कहा कि, ''एंड्रॉयड फोन अब इस सर्विस के तहत (जिसे यूज़र डिसेबल नहीं कर सकते) गूगल को सेल-टॉवर लोकेशन नहीं भेजेंगे।'' नई रिपोर्ट में यूज़र प्राइवेसी को लेकर कई तरह के सवाल उठाए गए हैं क्योंकि कई बार लोग अपने डिवाइस लोकेशन को ट्रैक करना पसंद नहीं करते लेकिन उनके पास इसे रोकने का कोई तरीका नहीं है।
गूगल के प्रवक्ता ने एक ईमेल में कहा कि, ''इस साल जनवरी में, हमने मैसेज डिलिवरी की स्पीड और परफॉर्मेंस को बेहतर करने के लिए सेल आईडी कड को एक अतिरिक्त सिग्नल के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू किया। हालांकि, हमने कभी भी सेल आईडी को अपने नेटवर्क सिंक सिस्टम का हिस्सा नहीं बनाया, जिससे डेटा तुरंत ही डिलीट हो गया।'' रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर गूगल को कोई डेटा भेजा भी गया तो वो इनक्रिप्टेड था।
बता दें कि गूगल ने
अपनी सर्विस इस्तेमाल के लिए अपनी नियम व शर्तों में लिखा है, ''जब आप गूगल की सर्विस इस्तेमाल करते हैं तो हम आपकी वास्तविक लोकेशन को इकट्ठा और सूचना को प्रोसेस कर सकते हैं। लोकेशन के लिए हम कई तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं, इनमें आईपी एड्रेस, जीपीएस और दूसरे सेंसर इस्तेमाल करते हैं। इनमें आसपास मौज़ूद डिवाइस पर गूगल की जानकारी, वाई-फाई एक्सेस पॉइं और सेल टॉवर शामिल हैं।''
अभी, यह स्पष्ट नहीं है कि लोकेशन ट्रैकिंग का इस्तेमाल किसलिए किया गया लेकिन हो सकता है कि टारगेटेड विज्ञापन के लिए गूगल ने यह तरीका अपनाया हो।