जब आप बीमार पड़ते हैं या चिकित्सकीय मदद की आवश्यकता होती है, आप क्या करते हैं? टका सा जवाब है अपने फैमिली डॉक्टर या नजदीक के मेडिकल स्टोर का रुख करते हैं। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, अब आपके पास सोशल मीडिया का विकल्प भी है।
भारत में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वाला हर व्यक्ति आज सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर (Twitter), फेसबुक (Facebook) या व्हाट्सऐप (Whatsapp) पर मौजूद है। कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इन प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल मरीजों की मदद करने के लिए कर रहे हैं। वे उन्हें इलाज के बारे में निर्देशित करते हैं, सर्जरी के बाद आवश्यक सुझाव देते हैं और अन्य चिकित्सकीय सुझाव देते हैं।
राष्ट्रीय राजधानी स्थित इंडियन स्पाइन इंजरिज सेंटर में चिकित्सकीय निदेशक व स्पाइन रोग प्रमुख डॉक्टर एच.एस.छाबड़ा ने कहा, "मरीजों तक पहुंचने के लिए हम व्हाट्सऐप, स्काइप तथा वाइबर का धड़ल्ले से इस्तेमाल करते हैं। वर्तमान में 180 से अधिक मरीज व्हाट्सऐप पर हमसे संपर्क में हैं, जबकि स्काइप पर 30, जो ऑनलाइन परामर्श का फायदा उठा रहे हैं।"
भारत में वर्तमान में 14.3 करोड़ लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिनमें से 2.5 करोड़ लोग ग्रामीण क्षेत्रों के हैं।
इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन चिकित्सा सुविधा मुहैया करने की प्रवृत्ति भारत में तेजी से बढ़ रही है। अनिल कालरा (27) का मामला ही लें, जिन्हें दिसंबर 2012 में रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोट की बात सामने आई थी। इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर में ऑपरेशन के बाद उनका चार महीने तक रिहैबिलिटेशन चला।
इस दौरान चिकित्सकों उन्हें स्काइप पर छह सप्ताह तक रोजाना 45 मिनट तक स्वास्थ्य संबंधी सुझाव देते रहे। ऑनलाइन परामर्श से कालरा बेहद खुश हैं और अब स्वस्थ हैं। डॉ.छाबड़ा ने कहा, "कालरा का मामला इंटरनेट तथा सोशल मीडिया की महत्ता को दर्शाता है।"
दिल्ली में आईवीएफ सेंटर चलाने वाली महिला रोग विशेषज्ञ डॉ.अर्चना धवन बजाज भी मरीजों के कल्याण के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रही हैं। उन्होंने कहा, "अपने मरीजों के साथ रचनात्मक वार्ता के लिए मैं ट्विटर, फेसबुक तथा यू ट्यूब का इस्तेमाल करती हूं। स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सोशल मीडिया बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जरूरत है कि लोगों में इसके प्रति जागरुकता फैलाई जाए।"
लुधियाना में सिबिया मेडिकल सेंटर चलाने वाले डॉ.एस.एस.सिबिया ने कहा, "चिकित्सा के क्षेत्र में नेटवर्किंग की ताकत को कमतर नहीं आंका जाना चाहिए। कई मरीज हमसे सोशल मीडिया के सहारे जुड़ रहे हैं। इनमें से कई लोगों ने अपनी बीमारी के बारे में फेसबुक व व्हाट्सऐप पर महत्वपूर्ण जानकारी हासिल की है, साथ ही संभावित इलाज भी।"
उन्होंने कहा, "इसने कई लोगों की जान बचाई है।"
नई दिल्ली स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल ने व्हाट्सऐप पर स्तन कैंसर के कई मरीजों को विशेषज्ञों से जोड़ रखा है, जो उन्हें परामर्श प्रदान करने के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं।
मैक्स अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी की निदेशक डॉ.अनुपमा हुडा ने कहा, "हमारे पास व्हाट्सऐप ग्रुप में रेडिएशन ऑन्कोलॉजी व ऑन्कोसर्जरी विशेषज्ञ हैं। इसलिए जब भी कोई मरीज कुछ पूछता है, तो उपलब्ध विशेषज्ञ उसका जवाब देते हैं।"
हाल में अमेरिका में किए गए एक सर्वे में लगभग 57 फीसदी लोगों ने फेसबुक तथा ई-मेल पर अपने चिकित्सकों तक पहुंचने में दिलचस्पी जताई है।
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